नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के बढ़ते मामलो के बीच स्कूलों को फिर से खोलने पर दिल्ली सरकार की खिंचाई की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “जब सरकार ने वयस्कों के लिए वर्क फ्रॉम होम लागू किया तो बच्चों को स्कूल जाने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है. हमें लगता है कि वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने के बावजूद कुछ नहीं हो रहा है.”
अदालत ने प्रदूषण कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने आश्वासन दिया था कि अगले आदेश तक स्कूलों को फिर से नहीं खोला जाएगा. शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार से पूछा, “हम औद्योगिक और वाहनों के प्रदूषण को लेकर गंभीर हैं. आप हमारे कंधों से गोलियां नहीं चला सकते, आपको कदम उठाने होंगे. स्कूल क्यों खुले हैं?”
अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार को वायु प्रदूषण नियंत्रण उपायों के कार्यान्वयन के लिए एक गंभीर योजना के साथ आने के लिए 24 घंटे की समय सीमा दी है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकारों को चेतावनी दी कि अगर वे प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय नहीं करते हैं तो अदालत आदेश पारित करेगी. कोर्ट इस मामले पर कल सुबह 10 बजे सुनवाई करेगी.
वायु प्रदूषण के कारण दो सप्ताह तक बंद रहने के बाद, दिल्ली में स्कूल और अन्य सभी शैक्षणिक संस्थान सोमवार से फिर से खुल गए, जबकि वायु गुणवत्ता अभी भी “बहुत खराब” श्रेणी में है.
उच्च वायु प्रदूषण के स्तर के मद्देनजर, राष्ट्रीय राजधानी में स्कूल 14 नवंबर से दो सप्ताह के लिए बंद थे. सरकार ने प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए निर्माण श्रमिकों पर प्रतिबंध लगाने और ‘गाड़ी बंद पर लाल बत्ती’ अभियान शुरू करने सहित कई उपाय किए थे.
इस बीच, सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार सुबह हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी रही. दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) गुरुवार सुबह 312 दर्ज किया गया.
सीपीसीबी शून्य से 50 के एक्यूआई को “अच्छा”, 51-100 को “संतोषजनक”, 101-200 को “मध्यम”, 201-300 को “खराब”, 301-400 को “बहुत खराब” और 401 से ऊपर के रूप में “गंभीर” वर्गीकृत करता है.
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