नई दिल्ली| रेलवे ने लगातार हो रहे नुकसान की भरपाई हेतु एक कड़ा एवं अति आवश्यक कदम उठाया है, क्योंकि राजसव के लिहाज से रेलवे विभाग काफी घाटे में चल रहा है इसलिए उसे आर्थिक सशक्तिकरण हेतु कई बदलाव करने जरूरी थे. जिनमें एक मुख्य कदम स्टेशनों पर रेल के ठहराव को कम करना है , यानि ऐसे स्टेशनों पर रेलों को रोका न जाए जहां केवल एक या दो यात्री उतरते हों.
हालांकि रेलवे ने विभाग से सभी मंडलों से इस बारे में जानकारी मांगते हुए यह रिपोर्ट मांगी है कि किस स्टेशन पर कितने यात्री उतरे ? कितनी टिकट बुकिंग हुई एवं कितनी आमदनी एवं खर्च हुआ ? आईआईटी मुंबई और इसरो को इस संदर्भ में एक उचित टाइम टेबल बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिससे समय एवं अर्थ दोनों की बचत हो सके.
कम सवारियों वाली ट्रेनों को किया जा सकता है बंद
इसके साथ ही एक और आवश्यक कदम उठाते हुए रेलवे इस निर्णय पर पहुंची है कि जिन ट्रेनों में यात्रियों की संख्या काफी कम होती है उन्हें बंद किया जाएगा या केवल सप्ताह में दो-तीन बार ही उनका संचालन किया जाएगा. जिससे उसका आर्थिक नुकसान ना हो एवं इसके साथ ही ट्रेनों को आवश्यक, बड़े एवं भीड़भाड़ वाले स्टेशनों पर ही रोका जाएगा.
जहां सवारियों की संख्या ठीक-ठाक मात्रा में हो क्योंकि एक बार रुकने पर रेलवे को 8 से 9 हजार रुपए का खर्च आता है और जहां एक या दो-तीन सवारियां उतरती हैं तो ऐसे में रेलवे को फायदे की बजाय नुकसान ही होता है. चूंकि कोरोनावायरस के चलते अभी केवल स्पेशल ट्रेनें ही पटरी पर दौड़ रही हैं जो मार्च 2021 तक ऐसे ही संचालित होती रहेंगी. इसके साथ ही ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने हेतु विभाग ने कई पैसेंजर ट्रेनों को मेल एक्सप्रेस का दर्जा देने का भी निर्णय लिया है, जिनमें कालका से नई दिल्ली, बठिंडा से अंबाला इत्यादि ट्रेनें शामिल हैं.
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