नई दिल्ली । आखिरकार शनिवार को किसानों के दिल्ली की सीमाओं से घर वापस लौटने का सिलसिला शुरू हो गया है. हरियाणा व पंजाब में जगह-जगह फूल बरसाकर किसानों का स्वागत किया जा रहा है. जहां एक ओर किसान मोर्चा फतह करने की खुशी में हंसते हुए घरों को लौट रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर सीमा पर इंडस्ट्री, व्यापार से जुड़े लोगों में भी खुशी साफ नजर आ रही है. राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों ने भी राहत की सांस ली है क्योंकि आंदोलन के चलते टोल फ्री थे और प्राधिकरण को करोड़ों रुपए का नुक़सान हो चुका है. एक अनुमान के मुताबिक टोल टैक्स बंद होने से छह सौ करोड़ रुपए की चपत लग चुकी है.
किसान आंदोलन के चलते सीमा और इंडस्ट्री और छोटे-छोटे व्यापार धंधे भी प्रभावित हो रहें थे. कई बार व्यापारी वर्ग का प्रतिनिधित्व भी इस संबंध में चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात भी कर चुके थे और राहत की मांग कर रहे थे. लेकिन किसान आंदोलन के दौरान प्रदेश सरकार और आला अधिकारी बेहद ही संवेदनशीलता और धैर्य के साथ समय गुजारने का संकल्प लें चुके थे. धैर्य और संयम के इस खेल से अब आंदोलन समाप्ति का बिगुल बज गया है तो सभी इसकी सराहना करते नही थक रहे हैं.
किसानों, इंडस्ट्री व बाकी को राहत
दिल्ली की सीमाओं पर धरना-प्रदर्शन के चलते रास्ते भी बंद पड़े थे. इनके खुल जाने के साथ ही दिल्ली अपना सामान लेकर नियमित तौर पर जाने वाले किसानों के लिए सीधा रास्ता खुल जाएगा. वहीं स्थानीय लोगों, छोटे दुकानदारों, इंडस्ट्री सभी को लाभ मिलेगा. दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में छोटी नौकरियां करने वाले लोग भी समय की बचत के साथ पहुंच सकेंगे.
अतीत पर नजर डालें, तो पिछले साल 26 नवंबर को बार्डर बंद हो जाने के बाद से उद्योगों तक कच्चे और तैयार माल की सप्लाई बाधित हुई थी. इसका प्रतिकूल प्रभाव चौतरफा दिखाई दे रहा था. अक्सर चंडीगढ़ में अधिकारियों और मुख्यमंत्री मनोहर लाल से इन्हें खुलवाने की अपील करने वाले व्यापारी वर्ग और विशेषज्ञ कुंडली व टीकरी बार्डर बंद होने से 50 हजार करोड़ की चपत की बात कर रहे हैं.
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