चंडीगढ़ | पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में हिसार के एक व्यक्ति ने तलाक के लिए याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि उसकी पत्नी बहुत क्रूर है. उसने यह भी बताया कि “उसकी पत्नी का स्वभाव इतना क्रूर है कि जब मैं रात को घर वापस आता हूं तो घर का दरवाजे तक नहीं खुलती है. इतना ही नहीं वह मुझ पर मेरी बहन वह आफिस की महिला सहकर्मियों के साथ अवैध संबंध के आरोप लगाती है.” पत्नी पर यह आरोप लगाते हुए हिसार निवासी पति ने अपनी पत्नी से तलाक की मांग की है. पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पति की याचिका खारिज करते हुए कहा कि ऐसे छोटे आरोप तलाक का आधार नहीं हो सकते.
जानिए हाई कोर्ट ने क्या कहा
आपको बता दें कि हाई कोर्ट ने कहा कि अगर दुर्व्यवहार काफी लंबी अवधि तक रहता है और संबंध इस हद तक खराब हो जाए कि पति या पत्नी के कृत्यों और व्यवहार के कारण, पीड़ित पक्ष को अब दूसरे पक्ष के साथ रहना बहुत मुश्किल लगता है. तो यह मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आ सकता है. हमारा विचार है कि ऐसी किसी भी घटना की कोई तारीख या महीना बताए क्रूरता के सामान्य आरोप अपीलकर्ता को अपना मामला साबित करने में मदद नहीं करते हैं.
जानिए याचिकाकर्ता की दलील
पति की एक और दलील थी कि उसकी पत्नी झूठे आरोप लगाकर उसके चरित्र की हत्या करती थी. पति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर हिसार फैमली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें फैमली कोर्ट ने उसकी पत्नी से तलाक की याचिका को खारिज कर दिया था. याचिका के अनुसार दोनों का विवाह मई 2005 में हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार हुआ था और नवंबर 2007 इनके एक लड़के का जन्म हुआ.
मतभेद और अन्य मुद्दों के कारण, दोनो नवंबर 2009 से अलग रह रहे हैं. फैमिली कोर्ट हिसार ने क्रूरता के आधार पर पति की तलाक की मांग को खारिज कर दिया था. फैमिली कोर्ट के आदेश से व्यथित पति ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. पत्नी का पति पर आरोप है कि वह चरित्रहीन और शराबी है. उसे मानसिक यातना देता था और वह वैवाहिक संबंध रखना चाहती है, जबकि पति ने पत्नी पर क्रूरता का आरोप लगाते हुए कहा कि उसकी पत्नी उसके और उसके परिवार के अन्य सदस्यों के साथ उसके रिश्तेदारों, दोस्तों और सहकर्मियों की उपस्थिति में दुर्व्यवहार और अपमान करती थी.
जानिए वकील ने क्या दिया तर्क
याचिकाकर्ता के वकील ने तलाक के लिए तर्क दिया कि दोनों पक्ष पिछले लगभग 12 वर्षों से अलग रह रहे हैं और सुलह की कोई संभावना नहीं है, इसलिए यह अपरिवर्तनीय रूप से टूटी हुई शादी का मामला है और इस आधार पर तलाक दिया जा सकता है. हालांकि, पत्नी की दलील थी कि उसे नवंबर, 2009 में वैवाहिक घर छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था और अगले दो महीनों के भीतर, पति ने विवाद के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए कोई प्रयास किए बिना तलाक की याचिका दायर की. पति ने कभी भी अपने बेटे की कस्टडी की मांग नहीं की जो पिछले 12 वर्षों से पत्नी के साथ रह रहा है. पति के उपरोक्त आचरण से पता चलता है कि वह अपनी पत्नी के खिलाफ झूठे आरोप लगाकर उससे छुटकारा पाने में रुचि रखता है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने पति की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसके आरोप बयान क्रूरता का आधार साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!