यमुनानगर । प्रदेश में ठंड में लगातार इजाफा हो रहा है और न्यूनतम तापमान भी 4 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. ऐसे में जहां जन-जीवन प्रभावित हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर मशरूम की फसल खूब खिल रही है. मौसमी परिस्थितियां अनुकूल होने से उत्पादकों में बेहतर पैदावार की उम्मीद जगी है. मौसम में एकाएक आए इस बदलाव को फसलों के लिए वरदान माना जा रहा है.
बता दें कि जिलें में 300 से अधिक लोग मशरूम की खेती के कारोबार से जुड़े हुए हैं और ऐसे में इस बार पैदावार भी 850 टन तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है. जबकि अब तक सालाना औसत पैदावार 800 टन तक रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि मशरूम के उत्पादन के लिहाज से यमुनानगर अग्रणी जिलों में शुमार रहा है.
सीजन लंबे समय तक चलने की उम्मीद
पहाड़ों में लगातार हो रही बर्फबारी से ठंड में इजाफा हुआ है. कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि बढ़ती ठंड का असर अभी नहीं बल्कि आने वाले दिनों में और ज्यादा दिखाई देगा. उनके अनुसार मौसम में ठंडक को देखते हुए मई माह तक सीजन चलने की उम्मीद है.
बेहतर पैदावार की उम्मीद से उत्पादकों में खुशी
उत्पादकों का कहना है कि इन दिनों मौसमी परिस्थितियां मशरूम की खेती के लिए अनुकूल है. जितनी नमी व तापमान चाहिए, उतना मिल रहा है. उन्होंने बताया कि इस बार फसर की क्वालिटी व पैदावार दोनों ही बेहतर है. उनके मुताबिक पिछले सालों की बजाय इस बार मशरूम की फसल स्वस्थ हैं.
मशरूम में होते हैं ये गुण
विशेषज्ञों के मुताबिक मशरूम स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी है. इसमें कैलोरी की मात्रा अधिक होती है और विटामिन-B का भी बेहतर स्त्रोत है. इसमें औषधीय गुण मौजूद होते हैं.
पराली का भी प्रबंधन
किसान पराली व बांस से बने शेड में मशरूम तैयार कर रहे हैं. एक एकड़ में 30× 100 के आकार के शेड बनाए हुए हैं. एक शेड के निर्माण के लिए करीब 30 एकड़ की पराली चाहिए.सीजन में नजदीक के गांवों से पराली खरीद लेते हैं, मतलब मशरूम उत्पादन के साथ-साथ किसान पराली का भी बेहतर तरीके से प्रबंधन कर रहे हैं. कुल मिलाकर पराली प्रबंधन के इस प्रकार से पराली जलाने की समस्या से भी निजात मिल जाती है.
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