रोहतक । रोहतक की चार वर्षीय छात्रा को वार्षिक फीस न देने के कारण स्कूल ने उसे ऑनलाइन कक्षाओं के समूह से बाहर कर दिया. वह भी तब जब स्कूल के अध्यक्ष स्वयं जिला उपायुक्त (डीसी) होते हैं. स्कूल की इस कार्रवाई से परेशान होकर लड़की के पिता ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपील की थी.
जानिए क्या है, पूरा मामला
आपको बता दें कि हरियाणा के रोहतक स्थित एक स्कूल ने फीस जमा ना करने पर एक बच्ची को ऑनलाइन क्लास के ग्रुप से हटा दिया. लड़की के पिता की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि उसकी बेटी चार साल की है. स्कूल ने वार्षिक शुल्क का भुगतान न करने के कारण उसे पढ़ाने से इनकार करते हुए उसे ऑनलाइन कक्षा समूह से बाहर कर दिया.
याचिका के मुताबिक स्कूल का यह कदम शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है और यह कदम अवैध है. कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक फीस न देने पर किसी भी छात्रा को पढ़ाई से नहीं रोका जा सकता है. लेकिन स्कूल ने कोर्ट के कानून और आदेश की अवहेलना कर उसकी नन्ही बच्ची को ऑनलाइन ग्रुप से बाहर कर दिया.
जानिए याचिकाकर्ता ने क्या किया अनुरोध
याचिकाकर्ता ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से इस संबंध में आदेश जारी कर स्कूल के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया था. याचिकाकर्ता की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए मॉडल स्कूल रोहतक के प्राचार्य, रोहतक आयुक्त सह शुल्क एवं कोष नियामक समिति के अध्यक्ष, डीसी सह अध्यक्ष मॉडल स्कूल रोहतक को नोटिस जारी कर तलब किया है. उन्हें जवाब देने के लिए अदालत ने हरियाणा के एडोवोकेट जनरल से इस मामले में अगली सुनवाई पर अदालत में पेश होकर मामले में मदद करने का भी आग्रह किया.
बता दें, कोरोना काल में स्कूल बंद रहने के कारण कई अभिभावक वार्षिक फीस नहीं भर पाए. ऑनलाइन क्लास के नाम पर कई स्कूलों में औपचारिकताएं थीं. लेकिन स्कूल बच्चों से सालाना फीस वसूल रहे हैं. ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं. कोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं कि फीस के भुगतान पर बच्चे को शिक्षा के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है.
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