लाइफस्टाइल | अपने पति के स्वास्थ्य और लंबी आयु की कामना करते हुए सुहागिनी कल 4 नवंबर को करवा चौथ का व्रत रखने वाली है. आपने हमेशा अपने घरों में, आसपास और फिल्मों में देखा ही होगा कि करवा चौथ का व्रत खोलते समय सुहागिने पहले एक छलनी से चांद को देखती हैं और फिर अपने पति को देखती हैं. इससे आपके मन में यह विचार आया ही होगा है कि आखिर छलनी से ही क्यों देखा जाता है. इसके पीछे का मूल कारण क्या है?
चंद्रमा को देखने का कारण
करवा चौथ के व्रत में छलनी का महत्वपूर्ण स्थान है. करवा चौथ के दिन महिलाएं पूजा करते समय थाली में अन्य सामानों के साथ छलनी भी रखती है. हिन्दू धर्म के अनुसार देखा जाए तो यह माना जाता है कि चांद भगवान ब्रह्मा का रूप होते हैं. मान्यता तो यह भी है कि चंद्र देव को लंबी आयु का वरदान प्राप्त है.
इसलिए चंद्रमा की पूजा-अर्चना करने से पति को लंबी आयु प्राप्त होती है.
हिंदू धर्म में चांद प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है. इसी वजह से करवा चौथ के दिन सुहागिने पहले छलनी से चांद को देखती हैं. उसके बाद अपने पति को छलनी से देखकर उसकी लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं.
छलनी से देखने का रहस्य-प्रचलित कथा
इसके पीछे एक पुरानी कथा भी प्रचलित है. कथा के अनुसार एक साहूकार की बेटी ने अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था. लेकिन उसे बहुत तेज भूख लगी थी, जिससे उसकी हालत भी खराब होने लगी थी. अपनी बहन की ऐसी हालत देखकर साहूकार के बेटों ने बहन से खाना खाने के लिए कहा. लेकिन बेटी ने खाना खाने से इंकार कर दिया.
जब भाइयों से अपनी बहन की ऐसी बुरी हालत देखी नहीं गई तो उन्होंने चांद निकलने का इंतजार न करते हुए एक पेड़ पर चढ़कर छलनी के पीछे दीया जला कर रख दिया और अपनी बहन को कहा कि चांद निकल गया है.
बहन ने भी भाइयों की बात मानकर दीये को चांद समझ लिया और व्रत खोल लिया. इस प्रकार व्रत खोलने के कारण उसके पति की मृत्यु हो गई. इसके पश्चात यह कहा जाने लगा कि वास्तविक चंद्रमा को देखे बिना व्रत खोलने के कारण ही उसके पति की मृत्यु हो गई.
भविष्य में इस प्रकार का छल किसी और सुहागन के साथ न हो इसलिए पहले ही छलनी में दीया रखकर चांद देखने की प्रथा की शुरुआत की गई. तभी से यह प्रथा चलती आ रही है |
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