लाइफस्टाइल । हर वर्ष की तरह इस बार भी दिवाली पर पटाखों के उपयोग पर प्रदूषण को देखते हुए पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है . इसलिए केवल ग्रीन पटाखों की बिक्री होगी क्योंकि आतिशबाजी से प्रदूषण इतना ज्यादा होता है कि हवा में सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है , एवं वातावरण में पीएम 2.5 की मात्रा बढ़ जाती है.
जिसके अत्यंत हानिकारक प्रभाव देखने को मिलते हैं. इसलिए प्रदेश में सभी जिला प्रशासनों ने आतिशबाजी की खरीद फरोख्त पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है, साथ ही इनकी ऑनलाइन शॉपिंग पर भी रोक रहेगी. सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिये गए निर्देशों के अनुसार पटाखों के उपयोग के बारे में सख्त दिशा निर्देश जारी किए हैं.
जिलाधीश द्वारा जारी नियमों के अनुसार प्रदूषण उत्सर्जन में कमी करने वाले ग्रीन पटाखे ही बेचे एवं उपयोग में लाये जाएंगे, अतः ऐसे पटाखे जिनका उत्पादन पहले से ही हो चुका है, परन्तु वे कार्बन उत्सर्जन की कमी के संदर्भ में निर्धारित किये गए मापदंडों पर खरे नहीं उतरते, ऐसे पटाखों का इस्तेमाल पूर्ण रूप से प्रतिबंधित रहेगा. कोर्ट द्वारा जारी आदेशों के अनुसार केवल पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिज्व सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन (पेसो) के द्वारा अनुमति प्रदान किए गए रसायनों से बने हुए पटाखों का ही उपयोग होगा.
अतः स्वच्छता को देखते हुए आर्सेनिक,एंटीमनी, लेड,लिथियम, मर्करी इत्यादि के योगिकों से बनी किसी भी आतिशबाजी का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इसके अलावा लड़ियों वाले अर्थात श्रृंखला पटाखे की बिक्री और उपयोग पर भी प्रतिबंध रहेगा क्योंकि इनसे बहुत ज्यादा धुआँ उत्पन्न होता है. साथ ही पटाखों की बिक्री केवल लाइसेंस धारक व्यापारी ही कर सकेंगे एवं इन सबके सन्दर्भ में आदेशों की अवहेलना किये जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
इसके अलावा संबंधित थाना क्षेत्र के एसएचओ को यह विवरण रखना होगा कि उनके शहर में कितने पटाखों का स्टॉक है एवं साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि आतिशबाजी रिहायशी इलाकों,बाजारों, हॉस्पिटलों एवं अन्य मौन क्षेत्रों जैसे नर्सिंग होम, फैक्ट्री, वृद्धाश्रम के आसपास न हो. इन सबको लेकर स्कूलों, रोड़ों पर भी जागरूकता अभियान चलाया जाएगा क्योंकि यह कदम मानवता के स्वास्थ्य एवं इसकी भलाई के लिए है.
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