हरियाणा की इस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने रचा इतिहास, पशुओं के लिए तैयार की पहली कोविड-19 वैक्सीन

हिसार । कोरोना (Corona) संक्रमण के प्रभाव को जड़ से खत्म करने के लिए वैक्सीनेशन (Vaccination) एक प्रभावी हथियार माना जा रहा है और अब इस कड़ी में मनुष्यों के बाद पशुओं के लिए भी देश की पहली कोरोना वैक्सीन तैयार करने में वैज्ञानिकों ने सफलता हासिल कर ली है. हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) हिसार में स्थित केन्द्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने यह कारनामा कर दिखाया है. सेना के 23 कुत्तों पर इस वैक्सीन का ट्रायल किया गया जो सफल रहा. वैक्सीन लगने के 21 दिन बाद कुत्तों में कोरोनावायरस (COVID-19) के खिलाफ एंटीबॉडी देखी गई.

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कुत्तों पर सफल ट्रायल के बाद वैज्ञानिक अब इस वैक्सीन का ट्रायल गुजरात के जूनागढ़ स्थित जूलॉजिकल पार्क के 15 शेरों पर करेंगे जिसके लिए गुजरात सरकार की अनुमति का इंतजार किया जा रहा है. इसके बाद इस वैक्सीन को बाजार में उतारा जाएगा ताकि पशुओं का भी वैक्सीनेशन अभियान छेड़ा जा सकें.

डेल्टा वैरिएंट से हुई थी शेर की मौत

वैक्सीन को विकसित करने वाले संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ नवीन कुमार ने बताया कि कुछ माह पहले चेन्नई स्थित चिड़ियाघर में मृत शेर में कोविड-19 वायरस की पहचान की गई थी. जांच में सामने आया था कि शेर की मौत कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से हुई थी. इस कारण उन्होंने इंसानों में आए डेल्टा वैरिएंट वायरस को ही लैब में आइसोलेट किया और उसका इस्तेमाल कर वैक्सीन बनाने में सफलता प्राप्त की.

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इस वायरस से मनुष्यों से पशुओं और फिर पशुओं से मनुष्यों में संक्रमण फैलने के कई अध्ययन सामने आए हैं. अमेरिका और रुस ने वैक्सीन विकसित कर जानवरों के लिए भी वैक्सीनेशन मुहिम शुरू कर दी है. हम भी अपने देश में जानवरों के लिए वैक्सीन तैयार करने के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहे थे और अब संस्थान ने वैक्सीन तैयार कर शुरुआती ट्रायल में कामयाबी हासिल कर ली है.

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डॉ यशपाल सिंह, निदेशक, केन्द्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान, हिसार

कोरोनावायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जानवरों का वैक्सीनेशन करना भी बेहद जरूरी है. केन्द्र सरकार इस मामले पर गंभीरता से नजर बनाए हुए हैं. इसी कड़ी में एनआरसीई हिसार के वैज्ञानिकों ने सकारात्मक प्रयास किया है और इस उपलब्धि के लिए संस्थान के वैज्ञानिक बधाई के पात्र हैं.

डॉ. बीएन त्रिपाठी, उप महानिदेशक (पशु प्रभाग) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली

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