हरियाणा सरकार ने बदला जमीन पैमाईश का तरीका, झगड़ों से मिलेगा छुटकारा

चंडीगढ़ । हरियाणा की मनोहर सरकार अब जमीन माप के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल करने वाली हैं. सरकार के इस प्रयास से जमीन माप के दौरान होने वाले विवादों पर अंकुश लगेगा. सरकार अब जमीनों की पैमाईश डिजिटल तरीके से कराने की तैयारी में है. इसके लिए जमीनों की प्रोपर्टी आईडी बनाने का कार्य किया जा रहा है.

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प्रदेश सरकार हरियाणा अंतरिक्ष उपयोग केंद्र की मदद से जमीनों की पूरी मैपिंग करवाने जा रही है. इसके बाद एक डिवाइस तैयार हो जाएगी, जिसमें पूरे प्रदेश की जमीन का डाटा उपलब्ध होगा. इस डिवाइस से किसी भी जमीन या खेत पर खड़े होकर पैमाईश हो सकेगी. सरकार के इस कदम से समय और पैसे की बचत तो होगी ही, साथ ही राजस्व विभाग से संबंधित विवादों की संख्या में भी कमी आएगी.

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नवंबर 2021 से प्रदेश के सभी 22 जिलों में मॉडर्न रेवेन्यू रिकॉर्ड रूम तैयार हो चुके हैं. इसके तहत गठरियों में बंधे वर्षों पुराने रेवन्यू रिकॉर्ड के करीब 18.5 करोड़ दस्तावेजों को स्कैन कर डिजिटल कर दिया गया है. अब जमीन से संबंधित कार्य के लिए माउस की एक क्लिक पर सुविधा मिल रही है. इससे अगली कड़ी में जमीनों की पैमाइश डिजिटल तरीके से करने की तैयारी हो रही है.

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शहरों की जमीन की प्रोपर्टी आईडी बनकर तैयार हो चुकी है और अब गांवों में इस काम को शुरू किया जा रहा है. इस डाटा और अंतरिक्ष से लिए फोटो के डाटा को मिलाया जाएगा और बाद में पूरे डाटा को एक डिवाइस पर फीड किया जाएगा. इसके जरिए जमीन के आसपास के क्षेत्र की सम्पूर्ण जानकारी आसानी से मिल सकेगी.

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मेनुअल में होते हैं विवाद

मौजूदा समय में पटवारी कपड़े के सीजरे और जरीब के माध्यम से मेनुअल तरीके से जमीन की पैमाईश करते हैं. इस दौरान अधिकतर केसों में एक पक्ष पटवारी आदि पर मिलीभगत के आरोप लगा देते हैं और इस तरह हजारों मामले कोर्ट में चले जाते हैं. ऊंची-नीची जमीन भी विवाद का कारण बनती है. डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल होने से राजस्व अधिकारियों पर दबाव कम होगा और जमीन को लेकर होने वाले झगड़ों में कमी आएगी.

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