पानीपत । टोक्यो ओलंपिक में भारत का नाम रोशन करने वाले भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा को कौन नहीं जानता है. नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल कर देश का नाम रोशन कर दिया था. हरियाणा के छोटे से गाँव से ताल्लुक रखने वाले नीरज चोपड़ा ने देश को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दिलाई. जिसकी हर ओर तारीफ होने के साथ वो लाखों युवाओ के प्रेरणास्त्रोत भी बन गए. अभी हाल ही में नीरज ने अपने फेसबुक पेज पर एक वीडियो अपलोड किया है. जिसमे उन्होंने अपने फर्श से अर्श तक यानि अपनी निजी जिंदगी से जुडी दिलचस्प बातें शेयर की है.
बता दें जैवलिन थ्रो खिलाडी नीरज चोपड़ा पानीपत के खंडरा गांव के रहने वाले है. इसी गांव में नीरज बचपन बीता और शुरुआत से ही उनको जैवलिन का जुनून था. जब भी वो खेतो में जाते तो रास्ते में पड़े डंडे को जैवलिन समझ फेंक देते थे. इसके अलावा घर पर छाडू की सींके निकाल कर फेंकते थे. और इसी दौरान वो घर की सभी झाड़ू खराब कर देते थे. जिसके बाद माँ से उनकी डांट पड़ती थी. लेकिन बावजूद इसके वो ये सब करना बंद नहीं करते थे. उन्होंने जीवन में सीखा है कि हार-जीत लगी रहती है. असंभव लक्ष्य से डरे नहीं बल्कि उसे लपक कर हासिल करें.
इसके साथ ही नीरज ने अपने वीडियो में युवाओ के लिए आवाज उठाते हुए कहा कि उनकी खेल, शिक्षा, गायन व डासिंग में रूचि है तो खुशी-खुशी उसे करे. नीरज ने आगे बताया कि उनके चाचा की जिद ने उन्हें आगे बढ़ाया. उन्होंने बताया हमारे गाँव में खेल का मैदान नहीं था. जिसके चलते उनके चाचा सुरेंद्र उन्हें साल 2010 में पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में ले गए. ताकि मेरा वजन कम हो सके. क्यूंकि बचपन में मैं बहुत मोटा था. 15 दिन अभ्यास किया तो शरीर में दर्द हुआ. माता-पिता को शिकायत की. उन्हें कह दिया कि जो चाचा करेगा. इसके बाद स्टेडियम में मुझे मेरे सीनियर जैवलिन थ्रोअर जयवीर सिंह ने जैवलिन थमा दी. इसके बाद मैंने 40 मीटर थ्रो किया. और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
नीरज की इस निजी जिंदगी से जुडी वीडियो पर कई लोगो ने रिएक्शन दिए है. मून नागर लिखती हैं कि जिंदगी खेलती भी उसी के साथ, जो खिलाड़ी बेहतर होता है. वही तारशी भटनागर लिखती है आपके परिवार को सलाम. ललिता ने लिखा आपकी कहानी सुनकर आंखें भर आई.
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