सोनीपत । वो कहते हैं ना जीवन में सब कुछ करने का जज्बा हो तो उस जज्बे के आगे कोई भी चीज मायने नहीं रखती। एक ऐसा ही मामला सोनीपत के गोहाना में देखने को मिल रहा है। जहां एक 70 वर्षीय बुजुर्ग अपने सपने को पूरा करने के लिए उम्र को दरकिनार करते हुए दसवीं की परीक्षा दी. जिसमें उन्हें 76 फीसदी अंक प्राप्त हुए.
यहां हम बात सोनीपत के गोहाना में रहने वाले 70 वर्षीय आजाद सिंह मोर की कर रहे है। जिन्होंने अपने सरपंच बनने को सपने को पूरा करने के लिए दसवीं कक्षा की परीक्षा दी और उसमें 76 फीसदी अंक से पास भी हुए। गौरतलब है कि हरियाणा सरकार की ओर से बीते 7 साल पहले व्यवस्था में सुधार की दिशा को लेते हुए पंचायती चुनाव में उम्मीदवारों के लिए शैक्षणिक योग्यता को निर्धारित कर दिया गया है.
जिसके तहत सामान्य वर्ग के सरपंच उम्मीदवारों के लिए दसवीं पास की योग्यता अनिवार्य हो गई है. हालांकि हरियाणा सरकार के इस फैसले से कई लोगों के सपने मिट्टी में मिल गए थे. जिनमें से एक आजाद सिंह मोर भी थे. हालांकि कुछ लोगों ने इसका विकल्प चुनते हुए पंचायती चुनावी मैदान में अपने बेटे पत्नी बेटी पुत्रवधू को उतार दिया है. लेकिन बरोदा निवासी आजाद सिंह मोर खुद पंचायती चुनाव में लड़ने का सपना देख रखा है.
1 जनवरी 1952 में जन्मे आजाद सिंह मोर ने पहले केवल कक्षा छठी तक पढ़ाई कर रखी थी. कम पढ़ाई की वजह से वह चुनाव लड़ने अपना चुनाव लड़ने का सपना पूरा नहीं कर पा रहे थे. इसके बाद अपने सपने को पूरा करने के लिए आजाद सिंह मोर ने 70 बरस की उम्र में आगे बढ़ने का फैसला किया और उन्होंने 2021 में संयुक्त मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान से दसवीं कक्षा के लिए आवेदन किया.
कोरोना महामारी की वजह से परीक्षाएं नहीं हो पाई और बोर्ड ने असेसमेंट क्या आधार पर सभी विद्यार्थियों को पास कर दिया. जिसके बाद आजाद सिंह बोर्ड की मार्कशीट सामने आई. जिसमें आजाद सिंह मोर को 70 की उम्र में करीब 76% अंक प्राप्त हुए.
आजाद सिंह मोर ने बताया है कि सरपंच बनने की ख्वाहिश उनकी बचपन से ही थी. लेकिन कभी मौका ही नहीं मिला कि इस गांव (बरोदा) का विकास करके दिखाओ. उन्होंने कहा कि मेरी नीति क्षेत्र का विकास करने की है. ऐसी बात उनसे पूछा गया कि आपने दसवीं की परीक्षा दो पास कर ली है लेकिन पंचायत चुनाव लड़ना काफी खर्चीला है.
आप इसका मुकाबला कैसे करोगी उन्होंने कहा कि जितना खर्चा होगा करेंगी. और पैदल चलकर पूरे क्षेत्र में अपने लिए प्रचार करेंगे. इसके बाद ताऊ से पूछा गया कि सरपंच बहुत पैसा खाते हैं तो उन्होंने कहा कि इसी को तो रोकना है सरकार क्षेत्र के विकास के लिए बहुत पैसा देती है लेकिन यह सरपंच पर सारा पैसा अपनी जेब में डाल लेते हैं.
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