अप्रैल माह में होगी सीईटी की परीक्षा, डेंटल एचसीएस प्री पर अभी तक कोई फैसला नहीं

चंडीगढ़ । पिछले काफी समय से संयुक्त पात्रता परीक्षा यानी कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट को आयोजित करने को लेकर संशय बना हुआ है. अप्रैल माह में सीईटी करवाने की तैयारी है जिसके लिए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग जल्द ही परीक्षा तिथि घोषित करेगा.

एक तरफ तो एचएसएससी सीईटी की परीक्षा आयोजित करवाने के लिए तैयारी कर रहा है जबकि दूसरी ओर फर्जीवाड़े में विवादित डेंटल सर्जन और  एचसीएस प्री परीक्षा को लेकर 3 माह बाद भी कोई फैसला नहीं लिया गया है. आयोग का कहना है कि विजिलेंस की रिपोर्ट के बाद ही इस पर फैसला सुनाया जाएगा जबकि यह बात साबित हो चुकी है कि दोनों ही परीक्षाओं में गड़बड़ हुई थी. परीक्षा होगी या नहीं इसी के चलते युवाओं के मन में असमंजस बना हुआ है. पिछले काफी समय से सीईटी की परीक्षा भी बीच अधर अटकी हुई है.

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कोरोना संक्रमण के कारण भी बार-बार तिथि स्थगित की जा रही है. अब फिर से आयोग ने इस परीक्षा को अप्रैल माह में कराने का प्लान बनाया है. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यह परीक्षा आयोजित करवाएगी इसके लिए आयोग और एजेंसी के बीच बैठक हुई और एजेंसी ने आवेदनकर्ता और परीक्षा केंद्रों की पूरी जानकारी ले ली है. एजेंसी द्वारा परीक्षा की तैयारियां भी शुरू कर दी गई है. आशा है कि आने वाले कुछ दिनों में परीक्षा की तारीख भी घोषित कर दी जाएगी. एचएसएससी अध्यक्ष भोपाल सिंह खत्री ने बताया कि तय है कि परीक्षा अप्रैल माह में होगी. उन्होंने कहा कि एजेंसी के साथ बैठक होने के बाद जल्द ही परीक्षा की तिथि भी घोषित कर दी जाएगी.

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डेंटल सर्जन और एचसीएस प्री परीक्षा पर भी जल्द हो निर्णय

युवाओं का कहना है कि डेंटल सर्जन और एचसीएस परी की परीक्षा में गड़बड़ी सामने आ चुकी है और आरोपी जेल जा चुके हैं तो फिर इन परीक्षाओं को रद्द क्यों नहीं किया गया. इस पर आयोग जल्द ही अपना फैसला सुनाएं सीईटी परीक्षा की तिथि रिजल्ट घोषित की जाए ताकि युवा अपनी तैयारी सुचारू रूप से कर सकें.युवाओं में इस बात को लेकर रोष बना हुआ है कि हरियाणा लोक सेवा आयोग के डेंटल सर्जन और एचसीएस प्री की परीक्षा को न हीं तो रद्द किया गया और ना ही बहाल. इसके चलते युवाओं में काफी रोष है.

युवा चाहते है कि उन्हें स्पष्ट बता दिया जाए कि यह परीक्षा दोबारा होगी या नहीं अथवा होगी तो भी कब. आपको बता दें कि 18 नवंबर को एचपीएससी के उप सचिव को इन परीक्षाओं में गड़बड़ घोटाले के चलते 90 लाख रुपए की रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया गया था. सरकार द्वारा उन्हें बर्खास्त भी कर दिया गया तथा अदालत में प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार अनिल नागर भी मान चुका है कि उसने एचसीएस प्री के 5 और डेंटल सर्जरी के 13 अभ्यर्थियों को पास कराया था. विजिलेंस अभी पूरे मामले की जांच कर रही है लेकिन अभी तक रिपोर्ट नहीं दी गई है. वही एचपीएससी के चेयरमैन आलोक वर्मा परीक्षा के मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं उनका कहना है कि विजिलेंस की रिपोर्ट के बाद ही कुछ फैसला किया जाएगा.

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