चंडीगढ़ । कोरोना महामारी की वजह से पहले से ही आर्थिक मंदी की मार झेल रहे लोगों को राहत देने की बजाय मनोहर सरकार ने बजट से पहले उन पर अतिरिक्त बोझ डाल दिया है. बता दें कि शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा विकास शुल्क में कई गुना की बढ़ोतरी कर दी गई है. विभाग द्वारा 18 फरवरी को कलेक्टर रेट पर फ्लैट 5% विकास शुल्क लगाने की अधिसूचना जारी कर दी गई है.
इससे पहले रिहायशी मकानों पर जहां 120 रुपए प्रति वर्ग गज विकास शुल्क वसूला जाता था, वहीं अब यह 375 से 875 रुपए तक वसूल किया जाएगा. वाणिज्यिक क्षेत्र में भी विकास शुल्क की दर एक हजार रुपए से बढ़कर 3 हजार रुपए तक पहुंच गई है. इतना ही नहीं अब लाल डोरा क्षेत्र में भी 500 रुपए प्रति वर्ग गज से विकास शुल्क चुकाना होगा.
नए रेट लागू होने से आमजन का अपना आशियाना बनाना महंगा हो गया है. नगर निगम, नगर परिषद, व नगर पालिकाओं में भवन प्लान, रिवीजन प्लान, आक्यूपेशन, एनओसी व नो ड्यूज सर्टिफिकेट लेते समय अब नए रेट के हिसाब से ही विकास शुल्क देना होगा. विभाग के पत्र के अनुसार पुरानी म्यूनिसिपल लिमिट, लाल डोरा, कोर एरिया, वैध कालोनी, नोटिफाई कालोनी में रिहायशी, वाणिज्यिक, संस्थागत व औद्योगिक के लिए विकास शुल्क के ये नए रेट ही लागू होंगे.
10 हजार कलेक्टर रेट है तो पहले देना होता था 12 हजार, अब देना होगा 50 हजार
बहादुरगढ़ के आर्किटेक्ट संदीप वत्स ने बताया कि अगर किसी पुरानी रिहायशी कालोनियों का कलेक्टर रेट 10 हजार रुपये प्रति वर्ग है तो वहां पहले 100 वर्ग गज के हिसाब से 12 हजार रुपये विकास शुल्क देना पड़ता था. मगर अब कलेक्टर रेट के 5% के हिसाब से उसे 50 हजार रुपये विकास शुल्क के देने होंगे. इससे स्थानीय निकायों की आमदनी तो काफी बढ़ जाएगी लेकिन आमजन की जेब पर विकास शुल्क के नए रेट भारी पड़ेंगे.
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