चंडीगढ़ । निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर बैठे बिजली कर्मचारियों द्वारा हड़ताल समाप्त करने की घोषणा के साथ ही चंडीगढ़ प्रशासन ने राहत की सांस ली है. बुधवार को बिजली कर्मचारियों और डीसी विनय प्रताप के बीच हुई बैठक के बाद हड़ताल खत्म करने का फैसला कर लिया गया है. बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए बिजली कर्मचारियों के नेता सुभाष लांबा ने कहा कि प्रशासन के साथ बेहद सकारात्मक माहौल में बातचीत हुई है और हमारी सहमति बन गई है. जैसे ही प्रशासन की ओर से अधिकारिक निर्देश आते हैं हड़ताल खत्म कर दी जाएगी.
बता दें कि निजीकरण के विरोध में 22 फरवरी से शुरू हुई हड़ताल करीब 36 घंटे बाद खत्म हुई है और सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ में बिजली आपूर्ति बहाल कर दी गई. हालांकि हड़ताल खत्म करने की घोषणा के बाद भी सैकड़ों बिजली कर्मचारी धरना स्थल से न उठने की बात पर अड़े रहे. जिसके बाद चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से एक बैठक बुलाई गई जिसमें डीसी विनय प्रताप समेत कई अधिकारियों और बिजली यूनियन के नेता शामिल हुए.
बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में चंडीगढ़ बिजली यूनियन के नेता सुभाष लांबा ने कहा कि प्रशासन और बिजली यूनियन के बीच इस बात पर सहमति बनी है कि मामला जब तक हाईकोर्ट में विचाराधीन है तब तक बिजली विभाग का निजीकरण नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रशासन की तरफ से फिलहाल निजीकरण की प्रक्रिया पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है और हाईकोर्ट का फैसला आने पर ही आगे की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.
बता दें कि बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ 22 फरवरी को शहर के सभी बिजली कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे, जिसके बाद शहर में बिजली व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई थी. पुलिस थानों, ट्रैफिक व्यवस्था, ऑफिस आदि जगहों पर बिजली नहीं होने से परेशानी झेलनी पड़ रही थी. पूरे 36 घंटे शहर में बिजली आपूर्ति बाधित रही जिससे न सिर्फ आम आदमी को परेशानी हुई बल्कि उद्योग धंधों को भी काफी नुकसान झेलना पड़ा है. प्रशासन और बिजली यूनियन के नेताओं के बीच सहमति के बाद 23 फरवरी को दोपहर तक शहर में फिर से बिजली आपूर्ति बहाल हो गई.
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