बीते सप्ताह आवक बढ़ने से सरसों तेल में गिरावट, अन्य तेल- तिलहनों की कीमतों में सुधार

नई दिल्ली । हालांकि बाज़ार विशेषज्ञों का कहना है कि विदेशों में खाद्य तेलों के भाव मजबूत होने के बीच ज्यादातर तेल- तिलहन के भाव में तेजी दर्ज हुई है. समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान सोयाबीन तेल की कीमत में 118 डालर प्रति टन की बढ़ोतरी हुई है तो वहीं कच्चे पाम तेल (सीपीओ) की कीमत में 180 डालर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

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विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच बीते सप्ताह देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में सरसों को छोड़कर लगभग सभी तेल- तिलहनों के भाव सुधार दर्शाते बंद हुए. मंडियों में सरसों की नई फसल की आवक बढ़ने से सरसों तेल- तिलहन की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है.

रुस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग की वजह से भी बाजार में उठापटक का दौर जारी है. विभिन्न विदेशी बाजारों में भी कभी भारी तेजी दर्ज हो रही है तो कभी तेज गिरावट दर्ज की जा रही है. विदेशी बाजारों में तेजी की वजह से मूंगफली तेल- तिलहन के भाव में तेजी आई है.

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सरसों तेल- तिलहन के भाव में नरमी

बाजार कारोबारियों का कहना है कि मंडियों में नई सरसों की आवक बढ़ने से सरसों तेल-तिलहन के भाव में नरमी दिखाई दे रही है. मंडियों में सरसों की दैनिक आवक बढ़कर साढ़े छह से सात लाख बोरी हो गई है. सरसों तेल की कीमत सोयाबीन तेल से लगभग 30 रुपए प्रति लीटर ज्यादा हुआ करती थी लेकिन अब कीमत सोयाबीन तेल से लगभग 3-4 रुपए प्रति लीटर सस्ती हो गई है जिससे उपभोक्ताओं को कुछ हद तक राहत पहुंची है.

60-65% खाद्य तेल का आयात

बता दें कि भारत खाद्य तेल की अपनी जरुरत का 60-65% आयात से पूरा करता है और विदेशों की घट-बढ़ के असर से देश अछूता नहीं रह सकता. वर्ष 2019-20 के आयात खर्च के मुकाबले चालू वित्त वर्ष में 2021-22 में इसके लगभग दोगुना होने की संभावना जताई जा रही है. सरकार को आयात शुल्क कम-ज्यादा करने की बजाय किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाकर तिलहन उत्पादन बढ़ाने की ओर जोर देना चाहिए.

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20-25 लाख टन सरसों स्टॉक रखने की सलाह

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार की तरफ से सहकारी संस्था हाफेड और नेफेड को बाजार भाव पर और जरूरत पड़े तो बोनस का भुगतान करते हुए भी सरसों की खरीद कर 20-25 लाख टन का स्टॉक कर लेना चाहिये क्योंकि सरसों तिलहन जल्दी खराब नहीं होता और जरूरत के समय यह काफी मददगार साबित हो सकता है.

बाजार कारोबारियों ने बताया कि सरसों की नई फसल की आवक बढ़ने के बाद बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 625 रुपये की भारी गिरावट के साथ 7,650-7,675 रुपये प्रति क्विंटल रह गया, जो पिछले सप्ताहांत 8,275-8,300 रुपये प्रति क्विंटल था. सरसों दादरी तेल का भाव पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 1,180 रुपये लुढ़ककर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 15,400 रुपये क्विंटल रह गया. वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमत क्रमश: 115 रुपये और 160 रुपये टूटकर क्रमश: 2,275-2,330 रुपये और 2,475-2,580 रुपये प्रति टिन रह गई.

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समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल कीमतों में भी सुधार नजर आया है. सीपीओ का भाव 500 रुपये बढ़कर 13,100 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ. पामोलीन दिल्ली का भाव भी 750 रुपये का सुधार दर्शाता 14,750 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 750 रुपये के सुधार के साथ 13,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. बिनौला तेल का भाव भी 600 रुपये का सुधार दर्शाता 14,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ.

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