पंचकुला | भारत की केंद्र सरकार ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ स्कीम पर दुरुस्ती से अपना योगदान दे रही है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह है की प्रवासी मजदूरों को सरकारी सब्सिडी दर पर राशन प्रदान करवाया जा सके, किंतु इस योजना में बहुत बड़े स्तर पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. जिस कारण के चलते, अब सरकार की ओर से लाखों राशन कार्डों को रद्द कर दिया गया है.
बड़े स्तर पर हुआ फर्जीवाड़ा, सामने आए आंकड़े
सरकार की तरफ से पब्लिक डिसटीब्यूशन सिस्टम से 43 लाख 90 हज़ार फर्जी व अवैध राशन कार्ड को रद्द कर दिया गया है. इय योजना का के मुख्य उद्देश्य योग्य लाभार्थियों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत सब्सिडी वाला अनाज वितरित करवाना था, किंतु अब इस योजना में लाखों लोगों के द्वारा अपने फर्जी राशन कार्ड बनवा लिए गए थे.
सरकार द्वारा निरंतर कसी जा रही है नकेल
इसे पहले भी साल 2013 से बड़ी संख्या में झूठे और नक़ली राशन कार्ड बरामद किए गए थे. जिसके पश्चात साल 2019 में सरकार राशन कार्ड में हो रही धोखा धड़ी को रोकने पर लगातार अपना ध्यान केंद्रित किए हुए है. इस मामले में सरकार द्वारा लगातार सख्त कार्यवाही की जाती है, जिससे ऐसे मामलों पर नकेल कसी जा सके.
डिजिटलीकरण अभियान दे रहा है सहयोग
इस मामले में खाद्य मंत्रालय मानता है कि डुप्लीकेट कार्ड को चिन्हित करना जरूरी है. चर्चा का विषय है कि राशन कार्डों के डिजिटलीकरण अभियान ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली को पारदर्शी बनाने और दक्षता में सुधार लाने में अपना भरपूर योगदान दिया है.
‘ परिवार गरीब कल्याण अन्र योजना ‘ जनता को मिला भरपूर लाभ
खाद्य मंत्रालय द्वारा कहा गया , ‘अयोग्य राशन कार्डों ‘ हटाते समय, हम हर एक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए परिभाषिति कवरेज के भीतर नये लाभार्थियों को जोड़ते रहते हैं. अहम जानकारी यह है की नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के अनुसार लगभग देश की जनसंख्या के क़रीब दो तिहाई भाग को इसका लाभ प्राप्त हो पा रहा है. लगभग 80 करोड़ परिवारों को ‘ परिवार गरीब कल्याण अन्र योजना’ के अन्तर्गत प्रत्येक माह 5 किलो मुफ्त अनाज मिल रहा है. इस स्कीम की शुरुआत कोरोना महामारी से समय लागू हुए लॉकडाउन के दौरान की गई थी.
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