किसानों की मौज कर रहा है ‘काला सोना’, MSP से ज्यादा मिल रहा है भाव

रेवाड़ी । कोरोना काल के बाद से ही सरसों तेल की मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है. किसानों के लिए काला सोना यानि सरसों की फसल पिछले कुछ सालों से वरदान साबित हो रही है. मांग बढ़ने से सरसों फसल का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि कि MSP से भी ज्यादा बना हुआ है जिससे किसानों की चांदी हो रही है. बाजार में सरसों का भाव एमएसपी से 2 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक ज्यादा बना हुआ है जिसके चलते किसान मंडियों में सरसों लाने की बजाय सीधे व्यापारियों को बेच रहे हैं.

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किसान फसल बेचने की जल्दी में गीली सरसों ही लेकर मंडियों में पहुंच रहे हैं, जिसे बिक्री से पहले फड़ पर सुखाया जाता है. बाजार में सरसों के भाव में एमएसपी से ज्यादा तेजी होने के कारण सरकारी खरीद एजेंसी हैफेड को कम ही सरसों मिलने की संभावना है. अनाज मंडी में सरसों फसल की आवक बढ़ने के साथ ही अव्यवस्थाएं भी नजर आने लगी है.

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पिछले कुछ सालों से सरसों के भाव में तेजी की वजह से किसानों का रुझान भी सरसों की खेती की तरफ बढ़ा है. इस बार जिलें में करीब 74 हजार हेक्टेयर भूमि पर सरसों की फसल की खेती हुई है. बाजार में इस समय सरसों फसल का भाव 6 हजार रुपए से लेकर 7100 रुपए प्रति क्विंटल तक बना हुआ है जिसके चलते अगेती सरसों फसल की बिजाई करने वाले किसानों में जल्दी फसल निकालकर मंडियों में पहुंचाने की होड़ लगी हुई है. बता दें कि हरियाणा सरकार ने सरसों फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5050 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया हुआ है लेकिन बाजार में ज्यादा भाव मिलने की वजह से अब किसान सरकारी खरीद का इंतजार ही नहीं कर रहे हैं.

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होली के बाद दिखेगी तेजी

जिलें के ज्यादातर क्षेत्रों में सरसों फसल की कटाई का काम शुरू हो गया है. मौसम में गर्माहट बढ़ने से सरसों फसल की कटाई में और तेजी देखने को मिल रही है. आढ़तियों ने बताया कि होली के त्यौहार के बाद जिलें के सभी क्षेत्रों से सरसों की आवक शुरू हो जाएगी, जिससे मंडियों में सरसों की भरमार हो जाएगी.

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भाव अच्छा मिलने से किसानों में खुशी

मंडी में सरसों लेकर पहुंचे एक किसान ने बताया कि फरवरी माह में हुई हल्की ओलावृष्टि के बावजूद सरसों का उत्पादन अच्छा हो रहा है. वहीं इसके साथ ही सरसों का भाव एमएसपी से ज्यादा मिलने की वजह से किसानों के चेहरों पर खुशी साफ देखी जा रही है. किसानों ने बताया कि व्यापारी भाव अच्छा दें रहें हैं और हाथों-हाथ सरसों बिक रही हैं तथा साथ ही पैसे भी मिल रहें हैं.

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