जानिए होली से जुड़ी ये खास बातें, जो बहुत कम लोग जानते हैं

भिवानी । भारत में होली हिंदुओं का एक प्रसिद्ध त्यौहार है, जो खुशियों और उमंग से भरा हुआ होता है.आपकी जानकारी के लिए बता दें कि होली का आयुर्वेदिक महत्व भी है.जिससे शरीर को बहुत फायदा मिलता है मगर यह बात बहुत कम ही लोगों को पता है. आइए जानते हैं…

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होली का आयुर्वेदिक महत्व

आयुर्वेद की दृष्टि से होली का बहुत महत्व है.सर्दियों के मौसम के अंत और बसंत के आगमन पर होने वाले होली के त्योहार के बाद, सूर्य तीव्रता से बढ़ने लगता है. समिता (आयुर्वेद हैंडबुक) में होली का आयुर्वेदिक महत्व बताया गया है. कहा जाता है कि सर्दी में जमा कफ होली की तपिश लगते ही बाहर निकलने लगती है. प्राकृतिक रंगों के प्रयोग से शारीरिक विकार दूर होते हैं. अभिज्ञान शाकुंतलम, वात्स्यायन कामसूत्र, रघुवंश, मालविकाग्निमित्रम और भविष्य उत्तर पुराण में होली के महत्व का वर्णन किया गया है.

प्राचीन काल में होली

बता दें कि प्राचीन काल में होली के प्राकृतिक रंग बनाए जाते थे.इसमें केसरिया रंगों का प्रयोग किया गया था. टेसू के फूलों को पीसकर रंग और अबीर तैयार किया जाता था. होली गीत में भी इसका उल्लेख है.जब ऋतुओं में परिवर्तन होता है तो मानव शरीर में भी अचानक परिवर्तन होते हैं. लोगों ने खुद भी महसूस किया होगा कि होली के दिन शरीर खुद ही मौसम के अनुसार खुद को ढलने लगता है. जिसके कारण बदलाव आने के कारण भी हैं. इसलिए ऋषियों ने अपने ज्ञान और अनुभव से मौसम परिवर्तन के बुरे प्रभावों को जाना और होली पर ऐसे उपाय सुझाए. जिससे शरीर को रोगों से बचाया जा सके.

केमिकल के रंग हैं खतरनाक

सियोसर स्थित आयुर्वेदिक औषधालय के एएमओ डॉ. शुभम गर्ग का कहना है कि होली पर रासायनिक रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. ऐसे रंग त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसलिए हमें प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए. कभी-कभी हो-हल्ला और मस्ती में बड़ा नुकसान हो जाता है, ऐसे में लोगों को खुद ही सावधान रहना चाहिए.

उर्जा और स्वास्थ्य की दृष्टि से होली का महत्व

होली के त्योहार को ऊर्जा और स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाता है.होली दहन पर अग्नि प्रज्जवलन, अग्नि परिक्रमा, गायन और वादन का समावेश किया गया है. अग्नि की गर्मी जहां कीटाणुओं का नाश करती है, वहीं खेलकूद की अन्य गतिविधियां शरीर में जड़ता नहीं आने देती हैं.इससे कफ दोष दूर होते हैं. शरीर की ऊर्जा और जोश बना रहता है.शरीर स्वस्थ रहता है और स्वस्थ शरीर होने से मन का मूड भी बदल जाता है. मन जोश से भर जाता है और नई इच्छाएं पैदा करता है. इसलिए वसंत ऋतु को मोहक, नशीला और कामोत्तेजक मौसम माना जाता है.

इन बातों का रखें ध्यान

इन दिनों हमें गेहूं, चावल और पुराने अनाज का सेवन करना चाहिए. आप मूंग दाल भी खा सकते हैं.कषाय पी काटू का सेवन करना चाहिए. आप अपनी डाइट में शहद को शामिल कर सकते हैं.ठंडी चीजें नहीं खानी चाहिए.इस मौसम में हमें नियमित व्यायाम करना चाहिए, शरीर पर चंदन, केसर और अगरू की मालिश करनी चाहिए और गर्म पानी से गरारे भी करने चाहिए.

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