नई दिल्ली, दिल्ली नगर निगम | दिल्ली में तीनों नगर निगमों को एकीकरण करने वाला बिल लोकसभा में पेश किया गया.बता दें कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में इस बिल को पेश किया. जबकि कांग्रेस, आरएसपी और बसपा ने बिल पेश किए जाने का विरोध किया और इसे गलत बताया.
आपको बता दें कि पहले दिल्ली एमसीडी चुनाव की घोषणा होनी थी, लेकिन अचानक कहा गया कि केंद्र सरकार इसे लेकर एक बिल पेश करने जा रही है, इसलिए चुनाव की तारीखों की घोषणा टाल दी गई. इसका सबसे बड़ा विरोध आम आदमी पार्टी की ओर से था, जो दिल्ली में सत्ता में है, यह आरोप लगाते हुए कि एमसीडी चुनाव में भाजपा हार रही है, इसलिए चुनाव की तारीखों की घोषणा रोक दी गई थी.
अब लोकसभा में बिल पेश होने के बाद सरकार चाहती है कि इसे संसद के दोनों सदनों में पास कराया जाए. जिसके बाद दिल्ली में कई साल पहले की तरह सिर्फ एक नगर निगम होगा. इस बिल को लेकर लोकसभा में हंगामा हुआ था. कांग्रेस के मनीष तिवारी ने विधेयक पेश करने का विरोध करते हुए कहा कि यह संसद के अधिकार से बाहर है.उनके अलावा आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, कांग्रेस के गौरव गोगोई और बसपा के रितेश पांडे ने बिल का विरोध किया.
आपको बता दें कि 2011 में दिल्ली में तीन नगर निगमों का गठन हुआ था, तब से बीजेपी ने 2022 तक तीनों की सत्ता पर कब्जा किया है. वहीं इससे पहले बीजेपी 2007 से 2012 तक नगर निगम में सत्ता में थी. लेकिन अब आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (आप) ने तीनों निगमों को एकजुट करने के लिए इसे नगर निगम चुनाव में देरी करने का ‘तरीका’ बताया है, लेकिन साथ ही कहा कि विलय नगर निगम चुनाव में इसे प्रभावित नहीं करेंगे.. आप ने दावा किया कि दिल्ली की जनता ने भाजपा को शहरी निकाय से बाहर करने का मन बना लिया है.
भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई के नेताओं का मानना है कि इस विलय से पार्टी को अपनी छवि बदलने और सत्ता विरोधी लहर से निपटने में मदद मिलेगी. केंद्र सरकार के सूत्रों का कहना है कि एकीकृत नगर निगम एक पूर्ण निकाय होगा और वित्तीय संसाधनों का समान वितरण होगा, जिससे तीनों नगर निगमों के कामकाज और सेवाओं से संबंधित व्यय की देनदारियों में कमी आएगी. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में नगर निकाय बेहतर होगा.
बता दें कि नगर निगम के तीनों महापौरों ने इसके एकीकरण का प्रस्ताव रखा है. उत्तरी निगम के मेयर राजा इकबाल सिंह, दक्षिण के मुकेश सूर्यन और पूर्व के श्याम सुंदर अग्रवाल ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था. तीनों महापौरों ने इस प्रस्ताव में कहा था कि निगमों की खराब वित्तीय स्थिति के कारण कर्मचारियों का वेतन मिलने में देरी हो रही है और विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं, इसलिए उन्हें एकजुट करने की जरूरत है.
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