चंडीगढ़ | अब हरियाणा सरकार एस वाई एल के मुद्दे पर पंजाब से कोई बात नहीं करेगी. सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू करवाने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं से राय ली जाएगी. विधायक अभय चौटाला और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा विधानसभा में कहा गया कि अब समय आ गया है जब सरकार को गंभीरता के साथ ठोस कदम उठाने होंगे. विपक्ष के कई विधायकों ने सरकार पर इस मामले में ढिलाई करने का आरोप लगाया.
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा आज सदन में एस वाई एल से संबंधित रिपोर्ट पेश की गई. उन्होंने बताया कि 1 अप्रैल 2016 को सुप्रीम कोर्ट का फैसला हरियाणा के हक में आने के बाद पंजाब ने इसपर रिव्यू पिटीशन दायर कर दी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दोनो राज्यों को निर्देश दिए की वे आपस ने बातचीत कर इस विवाद का हल करें और केंद्र सरकार इसमें मध्यस्थता करेगी. मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के कार्यालय के दौरान दो बार दोनो राज्यों में गृह सचिव तथा अधिकारियों की बैठक हुई . इसके बाद केंद्रीय जनशक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत द्वारा मध्यस्थता किए जाने के बाद उन्होंने खुद अमरिंदर सिंह के साथ बैठक की थी,बैठक के दौरान पंजाब ने दो सप्ताह का समय मांगा था.
समय पूरा होने के बाद जब केंद्र ने बैठक में बुलाया तो पंजाब की तरफ से कोई भी अधिकारी बैठक में शामिल नहीं हुआ. पंजाब इस मुद्दे को कई बार टाल चुका है. हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब भली भांति जानता है कि इस मुद्दे में हरियाणा का पक्ष मजबूत है और सुप्रीम कोर्ट ने भी हरियाणा के हक में फैसला सुनाया है. जिसे लागू करना ज़रूरी है. और अब हरियाणा इस विषय में पंजाब से कोई बात नहीं करेगा, ना ही कोई बैठक होगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री को पत्र लिखा जाएगा और यही नहीं अगर जरूरत पड़ी तो वकीलों का पैनल बनाकर सुप्रीम कोर्ट में मजबूती के साथ केस की पैरवी करवाकर जल्द ही एस वाई एल का पानी लिया जाएगा.
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