चंडीगढ़ । शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के नजरिए से हरियाणा सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. प्रदेश सरकार ने यह फैसला पड़ोसी राज्य पंजाब सरकार की तर्ज पर लिया है. इस फैसले से प्राइवेट स्कूलों की मनमानी अब अंकुश लगेगा. बता दें कि प्रदेश भर के निजी स्कूलों द्वारा बच्चों के अभिभावकों को अनुशंसित दुकान से किताबें खरीदने के लिए बाध्य किया जाता था लेकिन अब सरकार ने निजी स्कूलों की इस मनमानी पर लगाम कस दी है.
नए फैसले के अनुसार अब कोई भी प्राइवेट स्कूल अभिभावकों को किसी भी अनुशंसित दुकान से किताबों आदि की खरीद के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे. अगर कोई प्राइवेट स्कूल ऐसा करता हुआ पाया गया तो उसके खिलाफ हरियाणा विद्यालय शिक्षा नियमावली,2003 के अनुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी. सरकार द्वारा सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को इस बारे में निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं.
सरकार द्वारा जारी किए पत्र के अनुसार कोई भी मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूल हरियाणा विद्यालय शिक्षा नियमों के अनुसार अपने स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को स्कूल द्वारा अनुशंसित दुकान से पुस्तकें, कार्य-पुस्तिकाएं, लेखन सामग्री, जूते, मोजे, ड्रेस खरीदने के लिए विवश नहीं कर सकता. बता दें कि इसी तरह का एक फैसला हाल ही में पंजाब की भगवंत मान सरकार ने लिया था, जिसके बाद निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए हरियाणा सरकार पर भी इस तरह का फैसला लेने का दबाव बन गया था.
सूबे के शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने कहा कि सभी निजी स्कूलों को 5% से अधिक फीस न बढ़ाने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं. यदि कोई स्कूल इन आदेशों की अवहेलना करता है तो उस स्कूल की मान्यता रद्द कर दी जाएगी. हालांकि सरकार के इस फैसले को स्कूल एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में चेलेंज कर दिया है.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि इसके अलावा निजी स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपनी मर्जी से पुस्तकें नहीं लगा सकेंगे. जो भी NCERT का पाठ्यक्रम होगा, उसको ही प्राथमिकता दी जाएगी. इसके अलावा 2 साल से पहले स्कूल ड्रेस नही बदलने के आदेश जारी किए गए हैं.
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