नई दिल्ली | केन्द्र की मोदी सरकार बिजली चोरी कर अंकुश लगाने के लिए बड़ा कदम उठा रही है. इसके लिए देशभर में स्मार्ट मीटर लगाने की योजना पर तेजी से काम चल रहा है. इसके लिए मोदी सरकार ने स्मार्ट मीटर नेशनल प्रोग्राम (एसएमएनपी) शुरू किया है और इसे लागू करने की जिम्मेदारी टेलीस्टमार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी को सौंपी गई है. यह केंद्रीय बिजली मंत्रालय की अगुवाई में काम करने वाली कंपनी एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL) और नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट फंड (NIIF) का ज्वाइंट वेंचर है.
जल्द लगेंगे 4.79 करोड़ स्मार्ट मीटर
इस बारे में कंपनी के एमडी एवं सीईओ अनिल रावल ने बताया कि अभी 4.79 करोड़ स्मार्ट मीटर की खरीद के लिए निविदा की प्रक्रिया विभिन्न चरणों में है. यह निविदा उत्तर प्रदेश, असम, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र समेत विभिन्न राज्यों के लिए है. उल्लेखनीय है कि सरकार ने साल 2023 तक 10 करोड़ और 2025 तक 25 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य रखा है. उन्होंने बताया कि अब तक देश में ईईएसएल की परियोजना के तहत कुल 40 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं.
बिजली चोरी पर लगेगी रोक
अनिल रावल ने बताया कि स्मार्ट मीटर लगने से बिजली चोरी की घटनाओं पर अंकुश लगेगा. इस समय बिजली वितरण कंपनियों को चोरी की वजह से करीब 11 फीसदी का घाटा झेलना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि स्मार्ट मीटर लगने से इस पर लगाम लगेगी और साथ ही बिजली बिल की वसूली भी बेहतर होगी. इसके साथ ही, खपत आंकड़ों के सटीक विश्लेषण से वितरण कंपनियों की वित्तीय स्थिति में भी सुधार होगा. इससे पीक आवर और लीन आवर के लिए डिफ्रेंट रेट वसूलना भी संभव हो जाएगा.
क्या स्मार्ट मीटर तेज चलते हैं
स्मार्ट मीटर तेज चलने की धारणा को लेकर पूछे गए सवाल पर अनिल रावल ने कहा कि देश के कई प्रतिष्ठित लैब में स्मार्ट मीटर को लेकर कई परीक्षण हुए. सब जगह एक ही रिजल्ट सामने आया है कि स्मार्ट मीटर में खपत का रिकार्ड उतना ही आया, जितनी बिजली की खपत हुई. उन्होंने इस तरह की धारणा को मिथ्या करार दिया.
अनिल रावल ने कहा कि जिनके यहा पुराने मीटर लगे हुए हैं, उनमें लाइनमैन या मीटर रीडर की मदद से गड़बड़ी करना आसान काम है. लेकिन स्मार्ट मीटर में इस तरह की गड़बड़ नहीं हो सकती है. इसलिए कुछ लोग स्मार्ट मीटर के बारे में तरह- तरह की भ्रांतियां फैला रहे हैं.
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