चंडीगढ़ | हरियाणा की मनोहर सरकार ने प्रदेश के युवाओं के हक पर डाका डालने का काम किया है. प्रदेश में स्टाफ नर्सों की भर्ती के लिए चल रही प्रकिया के बीच अचानक से नियमों में बदलाव कर दिया है. सरकार के इस फैसले से अब हरियाणा के बाहर के उम्मीदवार भी यहां स्टाफ नर्स के पद पर परीक्षा व भर्ती हो सकेंगे.
हरियाणा नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल से थी रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता
साल 2019 में स्टाफ नर्स की नियुक्ति के लिए भर्ती निकाली गई थी और इसमें शामिल होने वाले उम्मीदवारों को हरियाणा नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल से रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी था, लेकिन अब इस अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है. नए नियम में देश के किसी भी प्रादेशिक नर्सिंग काउंसिल या भारतीय नर्सिंग काउंसिल के रजिस्टर्ड उम्मीदवारों को एक समान कर दिया गया है.
भर्ती प्रक्रिया के बीच में ही बदल दी शर्तें
बता दें कि डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च द्वारा रविवार को 307 स्टाफ नर्स की भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की गई, लेकिन भर्ती के लिए वर्ष 2019 की आवश्यक शर्तों मे बदलाव कर दिया गया. इससे 15/2019 के तहत विज्ञापित पदों पर हरियाणा नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल में रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता खत्म हो गई.
सुरजेवाला ने सरकार पर साधा निशाना
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने खट्टर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हरियाणा के युवाओं के हक पर डाका डाला जा रहा है. जब दूसरे प्रदेश केवल अपने राज्यों के नर्सिंग काउंसिल के रजिस्टर्ड उम्मीदवारों को ही आवेदन करने का मौका देते हैं तो पूरे देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी वाले प्रदेश की सरकार अपने युवाओं के साथ यह भेदभावपूर्ण व्यवहार क्यों कर रही है.
सुरजेवाला ने कहा कि क्या प्रदेश में योग्य नर्सेस की कमी है जो दूसरे प्रदेशों से उम्मीदवारों को आवेदन करने का फैसला लिया गया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में बेरोजगारी चरम सीमा पर है और इसको दूर करने के लिए सरकार को युवाओं के पक्ष में नीतियां बनानी पड़ेगी. उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार जुमलेबाजी, हवा- हवाई दावों से दूर हटकर युवाओं के रोजगार के लिए धरातल पर काम शुरू करें.
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