रोहतक। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (MDU) में विरोध प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार यदि कोई छात्र या छात्र संगठन, शिक्षक, गैर शिक्षण कर्मी विश्वविद्यालय परिसर में किसी भी प्रकार का प्रदर्शन करते हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. यदि किसी संगठन को मांगों को लेकर ज्ञापन देना है तो उसे 72 घंटे पहले नोटिस देना होगा, उसके बाद ही नामित कार्यालयों में ज्ञापन स्वीकार किया जाएगा.
वहीं कुलपति तक सीधा अपनी बात रखने के लिए नोटिस में कोई जिक्र नहीं किया गया है. यानी मांगों को लेकर विश्वविद्यालय के कुलपति के साथ नहीं मिला जा सकता है. एमडीयू के छात्र संगठनों ने नोटिस को तालिबानी फरमान बताया है. एमडीयू शिक्षक संघ और एमडीयू गैर शिक्षक कर्मचारी संघ ने भी नोटिस पर आपत्ति जताई है. छात्र संघ व मदुता व गैर शिक्षण कर्मचारी संघ ने नोटिस को तत्काल प्रभाव से वापस लेने को कहा है.
नोटिस में कही ये बात
नोटिस में कहा गया है कि विश्वविद्यालय के आवासीय क्षेत्रों, कुलपति के आवास, सचिवालय, विभिन्न विभागों, परीक्षा हॉल, छात्रावास परिसर, सभागार, गेट नंबर -1 और गेट नंबर- के भीतर आदि स्थानों पर 100 मीटर के दायरे में धरना नहीं किया जा सकता है. ऐसा करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई की जाएगी. नोटिस में इस गाइडलाइन की विडंबना यह है कि विश्वविद्यालय में इनमें से अधिकतर स्थान 100 मीटर के दायरे में आते हैं. ऐसे में पूरे परिसर में ऐसी कोई जगह नहीं है जहां प्रदर्शन किया जा सके.
हड़ताल-प्रदर्शन, कानून व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जारी नोटिस में तर्क दिया गया है कि इस तरह की गतिविधियां कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा हैं. लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रदर्शनों को रोकना जरूरी है. इस तरह की गतिविधियां कामकाज में बाधा डालती हैं. शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्य अटक जाते हैं. छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों और गैर-शिक्षकों के लिए मांग या समस्या के समाधान के लिए उचित दिशा-निर्देशों का पालन करना आवश्यक है.
कार्यालयों में दिया जा सकता है ज्ञापन
मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपने के लिए एमडीयू प्रशासन ने तीन कार्यालय स्थापित किए हैं. विश्वविद्यालय के सुरक्षा अधिकारी की यह जिम्मेदारी होगी कि वह किसी भी प्रदर्शन की सूचना कुलपति कार्यालय को दें. साथ ही वीडियोग्राफी के निर्देश भी दिए गए हैं. यदि सुरक्षा अधिकारी को लगता है कि सूचना पुलिस को देनी है तो वह रजिस्ट्रार या अन्य अधिकारी के निर्देशानुसार ऐसे कदम उठा सकता है.
यूनिवर्सिटी द्वारा इस तरह के आदेश जारी करने के बाद कई छात्र संगठनों ने इसका भारी विरोध किया है. साथ ही छात्र संगठनों का कहना है कि लोकतांत्रिक अधिकारों पर रोक लगाना हिटलरशाही को दर्शाता है.
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