गेहूं भाव में बढ़ोतरी की उम्मीद लेकिन बीते सालों की बजाय घर पर ही ज्यादा स्टॉक, जानें क्या है वजह

जींद । बीते साल की अपेक्षा इस साल गेहूं के उत्पादन में कमी आई है, जिसके चलते मंडियों में गेहूं की आवक 20-30 प्रतिशत तक कम रहने की आंशका जताई जा रही है. पिछले साल 72 लाख क्विंटल से ज्यादा गेहूं मंडियों में पहुंचा था लेकिन इस बार जिलेभर की मंडियों और खरीद केंद्रों पर 41 लाख क्विंटल गेहूं की ही खरीद हुई है. अब बहुत कम किसान ही मंडी में गेहूं लेकर पहुंच रहे हैं.

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वहीं मंडी में आढ़तियों की दुकानों के सामने गेहूं के बड़े- बड़े ढेर लगे हुए हैं. प्राइवेट डीलर्स ने सीधा किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी से 10-15 रुपए प्रति क्विंटल ज्यादा भाव देकर खरीदा है और साथ ही किसानों को भरोसा दिया गया है कि अगर सरकार गेहूं पर बोनस देती है तो बढ़ी हुई राशि भी उन्हें ही दी जाएगी.

वहीं बहुत से किसानों से भाव में बढ़ोतरी की उम्मीद के साथ घर पर ही गेहूं का स्टॉक कर लिया है. ऐसे में 50 लाख क्विंटल से भी कम गेहूं की आवक रह सकती है. बगैर मार्केट फीस के कहीं गेहूं प्रदेश से बाहर तो नहीं जा रहा है, इसकी निगरानी के लिए पंजाब बार्डर पर दो जगहों पर नाके भी लगाए हुए हैं. जिलेभर में आढ़तियों व प्राइवेट डीलर्स द्वारा भी गेहूं का स्टॉक किया जा रहा है. बुधवार को पिल्लूखेड़ा क्षेत्र में एक मिल पर छापेमारी के दौरान 3210 क्विंटल गेहूं का स्टॉक बगैर मार्केट फीस के मिला है.

खल- बिनौले की कीमतों में उछाल के आसार

बता दें कि खल का भाव जहां 4 हजार से 4500 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है तो वहीं बिनौले 4500 से 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है. ऐसे में पशुओं को खल और बिनौले डालना किसानों के लिए महंगा पड़ रहा है. इसलिए पशु आहार के रुप में किसानों ने बीते साल की बजाय गेहूं का स्टॉक घर पर अधिक मात्रा में किया है.

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