नई दिल्ली।देशभर में भीषण गर्मी का प्रकोप जारी है, जिसके चलते अप्रैल माह में ही बिजली की मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है. बिजली की मांग बढ़ने का असर कोयले की खपत पर भी देखने को मिल रहा है. कोयले की इस बढ़ी हुई जरूरत को पूरा करने के लिए रेलवे पर इसकी ढुलाई का दबाव साफ तौर पर नजर आ रहा है.
इसी दबाव के चलते रेलवे को पिछले कुछ सप्ताह से प्रतिदिन 16 मेल/ एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनों को रद्द करना पड़ रहा है. रेलवे ने बताया है कि 24 मई तक 670 पैसेंजर ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है. रेलवे का कहना है कि कोयले से लदी मालगाड़ियों को रास्ता देने के लिए यह कदम उठाया गया है. रेलवे का कहना है कि कोयला आपूर्ति प्रभावित न हो, इसके लिए प्रतिदिन 400 से ज्यादा कोयले से लदी मालगाड़ियों को चलाया जा रहा है.
रेलवे की ओर से मिली जानकारी अनुसार कोयले की मांग को पूरा करने के लिए हर मालगाड़ी से करीब 3500 टन कोयला ले जाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पावर प्लांट्स में कोयले का भंडार बढ़ाने के लिए कम से कम और दो महीने तक यह व्यवस्था जारी रहेगी. इससे पावर प्लांट्स के पास पर्याप्त कोयला भंडार रहेगा और जुलाई-अगस्त में संकट को टाला जा सकेगा. जुलाई-अगस्त में बारिश के कारण कोयले का खनन सबसे कम होता है.
कई राज्यों में विरोध
रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि देश के कई राज्यों में पैसेंजर ट्रेनों को रद्द करने को लेकर विरोध किया जा रहा है लेकिन हमारे पास कोई ऑप्शन नहीं है. अभी हमारी प्राथमिकता सभी पावर प्लांट्स में कोयले का पर्याप्त मात्रा में भंडारण करना है ताकि देश में बिजली का संकट पैदा न हो. उन्होंने बताया कि हमारे लिए धर्मसंकट खड़ा हो गया है क्योंकि ईस्टर्न सेक्टर से बड़ी मात्रा में घरेलू कोयले को देश के दूसरे हिस्सों में भेजा जा रहा है.
क्या कर रहा है रेलवे
देश में 70 फीसदी बिजली बनाने में कोयले का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में रेलवे ने भी कोयले की ढुलाई बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं. लंबी दूरी की ट्रेनें चलाई जा रही हैं और सीनियर अधिकारी कोयला चढ़ाने और उतारने की प्रक्रिया पर करीबी नजर रख रहे हैं. वरिष्ठ अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए है कि अगर कोल रूट्स पर समस्या आती है तो इसे प्राथमिकता के आधार पर दुरुस्त किया जाना चाहिए.
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