हिसार । चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने प्याज की नई किस्म एचओएस-3 विकसित की है. प्याज की यह किस्म केवल हरियाणा ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी अपनी पहचान बनाने के साथ- साथ लोगों की थाली का जायका भी बढ़ाएगी. प्याज की यह किस्म प्रति हेक्टेयर औसतन 320-350 क्विंटल तक उत्पादन देगी.
इस किस्म के हल्के कांस्य रंग के गोलाकार बल्ब होते हैं. इसमें स्टोरेज दौरान सिर्फ 3.7 फीसदी उत्स्फूटन (बोल्टिंग) और 7.2 फीसदी अंकुरण (स्प्राउटिंग) होती है. इसके लिए विश्वविद्यालय ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण को बढ़ावा देते हुए दक्षिण भारत की एक अग्रणी बीज कंपनी के साथ एग्रीमेंट(एमओयू) साईन किया है.
पिछले एक साल में विवि ने नौ समझौते किए
कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज की उपस्थिति में इस एमओयू पर विश्वविद्यालय की ओर से अनुसंधान निदेशक डा. जीत राम शर्मा जबकि कंपनी की ओर से प्रबंध निदेशक डा. अमरनाथ यादव ने हस्ताक्षर किए. कुलपति ने कहा कि जब तक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया शोध किसानों तक नहीं पहुंचता तब तक इसका कोई लाभ नहीं है. इसलिए ऐसे समझौतों पर हस्ताक्षर कर विश्वविद्यालय का प्रयास है कि यहां से विकसित उन्नत किस्मों और तकनीकों को अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाया जा सकें.
उन्होंने बताया कि मौजूदा करार के तहत उपरोक्त बीज कंपनी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित प्याज की किस्म एचओएस-3 के बीज तैयार कर किसानों को देगी ताकि किसानों को विश्वसनीय बीज मिल सकें और उनकी उपज में बढ़ोतरी हो सकें. एमओयू पर हस्ताक्षर होने के बाद अब उपरोक्त बीज कंपनी विश्वविद्यालय को लाइसेंस फीस देगी, जिसके तहत उसे बीज के उत्पादन और मार्केटिंग का अधिकार मिलेगा. इस समझौते के बाद किसान अगले साल से देशभर में राष्ट्रीय स्तर पर जारी प्याज की किस्म एचओएस-3 के बीज प्राप्त कर सकेंगे.
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