हिसार । हरियाणा के आमजन के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक बड़ी खुशखबरी है. अब प्रदेश में मरीजों को इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. मरीज अब घर बैठे ही ई- संजीवनी ऐप के जरिए चंडीगढ़ पीजीआई, रोहतक पीजीआई और सिविल अस्पताल हिसार के विशेषज्ञ डाक्टरों से मुफ्त इलाज करवा सकते हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदेश में ई- संजीवनी ओपीडी के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी परामर्श और दवा की पर्ची प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
सिविल अस्पताल, हिसार की सर्जन डॉ रत्ना भारती ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि ई- संजीवनी ओपीडी की सेवाएं सोमवार से शनिवार तक उपलब्ध रहेगी. सुबह 10 से दोपहर एक बजे तक और उसके बाद तीन से पांच बजे तक ओपीडी के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मरीज डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं. डाक्टर से परामर्श के बाद दवाइयों की एक पर्ची तैयार हो जाती है. इस पर्ची के जरिए सरकारी अस्पतालों से मुफ्त दवाई प्राप्त की जा सकती हैं.
डाक्टर रत्ना भारती ने बताया कि रोगियों को इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए अपने मोबाइल फोन में ई- संजीवनी ऐप को डाउनलोड करना होगा. रोगी को रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद ओपीडी का उपयोग करके टोकन जनरेट किया जाएगा. मोबाइल नंबर और टोकन नंबर का उपयोग करते हुए मरीज लॉगिन करें, अपनी बारी का इंतजार करें और डॉक्टर से परामर्श के बाद दवा की पर्ची भी अवश्य देखें.
मोबाइल ना होने पर क्या करें
जिन लोगों के पास स्मार्टफोन नही है, वो अपने नजदीकी हेल्थ वेलनेस सेंटर में जाकर वहां मौजूद मेडिकल अधिकारियों की सहायता से विशेषज्ञ डाक्टरों से सलाह लें सकते हैं. इसके साथ ही डॉक्टर द्वारा बताई गई सलाह और दवाइयों की पर्ची भी उसी सेंटर से प्रिंट कर मरीज को दे दी जायेगी. इसके लिए 1075 टोल फ्री नंबर पर फोन करके डॉक्टर से संपर्क किया जा सकता है.
क्या है ई- संजीवनी ओपीडी
ई- संजीवनी एक टेलिमेडिसिन सुविधा है, जिसे कोविड-19 की पहली लहर के दौरान लगाए गए लॉकडाउन में शुरू किया गया था. इसका मकसद लॉकडाउन के दौरान चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच मरीजों को घर बैठे इलाज की सुविधा उपलब्ध कराना है. इस ऐप के जरिए मरीज अपनी रिपोर्ट भी अपलोड करके डाक्टर को दिखा सकते हैं. डॉक्टर इसी ऐप के जरिए मरीज को दवाओं का प्रेसक्रिप्शन भी भेजेंगे, जिसे दिखाकर मरीज मेडिकल स्टोर से दवा ले सकता है. इसमें डॉक्टर्स के डिजिटल साइन भी होंगे ताकि मरीज को दवाइयां लेने में समस्या ना हो.
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