चंडीगढ़ । मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में गत दिन आयोजित हुई कैबिनेट मीटिंग में उप- विभाजित भूखंडों को नियमित करने की संशोधित पॉलिसी को मंजूरी दी गई है. सरकार के इस फैसले से उन हजारों परिवारों को राहत मिलेगी जिन्होंने पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे में प्लाटों के अलग-अलग हिस्से किए हुए हैं.
प्रदेश सरकार शहर और कस्बों की आवासीय कालोनियों में साल 1980 से पहले आवंटित प्लाटों के विभाजन (हिस्सों में बांटना) को अब कानूनी मान्यता देगी. ऐसे भूखंड का न्यूनतम आकार 200 वर्ग मीटर होना चाहिए. उप-विभाजित भूखंड का आकार किसी भी स्थिति में 100 वर्ग मीटर से कम नहीं होगा.
संशोधित पॉलिसी में भूमि के निर्धारित उपयोग को बदले बिना नगर पालिका क्षेत्रों में नगर आयोजना योजनाओं, पुनर्वास योजनाओं, सुधार न्यास योजनाओं में भूखंड के गलत तरीके से किए गए उप-विभाजन को विनियमित किया जाएगा. इसके लिए शर्त यह रहेगी कि मूल लेआउट में दर्शाई गई सड़क से उप-विभाजित प्लाट तक पहुंच होनी चाहिए. अवैध रूप से उप- विभाजित प्लाट और उप- विभाजन के नियमितीकरण के लिए नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग आवासीय प्लाट के लिए लाइसेंस फीस के डेढ़ गुणा की दर से लाइसेंस फीस वसूलेगा.
सामुदायिक सुविधाओं के लिए देनी पड़ेगी 10% जमीन
प्रदेश कैबिनेट ने आवासीय एवं वाणिज्यिक उपयोग के लिए नई एकीकृत लाइसेंसिंग नीति (एनआइएलपी) को भी मंजूरी दी है. इससे जनसंख्या के अनुसार सामुदायिक सुविधाएं जुटाई जा सकेंगी. मूल नीति के अनुसार कालोनाइजर के लिए सामुदायिक सुविधाओं के प्रावधान के लिए लाइसेंस प्राप्त कालोनी के 10 प्रतिशत क्षेत्र को सरकार को निशुल्क हस्तांतरित करना आवश्यक था. अब कालोनाइजर को 25 एकड़ तक के क्षेत्रफल वाली कालोनी की 10 प्रतिशत भूमि सरकार को हस्तांतरित करनी होगी.
संशोधित पॉलिसी में आवासीय प्लाटिड घटक के लिए हरित क्षेत्र निर्धारित मानदंड अर्थात 2.5 वर्गमीटर प्रति व्यक्ति (आवासीय प्लाट घटक में वास्तविक जनसंख्या के अनुसार) के अनुसार प्रदान किया जा सकता है. यह बेसमेंट के प्रावधान के साथ मानदंडों के अनुसार ग्रुप हाउसिंग में पार्किंग की आवश्यकता को पूरा करने में भी सक्षम होगा. संशोधित पॉलिसी के तहत हाइपर और हाई पोटेंशियल जोन के लिए न्यूनतम क्षेत्र मानदंड 10 एकड़ और मीडियम एंड लो पोटेंशियल जोन के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र के लिए पांच एकड़ है.
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