कुरुक्षेत्र । गर्भावस्था काल ऐसी घड़ी होती है जहां पर बरती गई थोड़ी सी लापरवाही भी जच्चा और बच्चा दोनों के लिए ख़तरनाक साबित हो सकती है. ज्यादातर महिलाएं गर्भावस्था में भी अपना ख्याल नहीं रखती है, जिसके चलते 46.2% महिलाएं गर्भावस्था के दौरान एनिमिक हो रही है. इतना ही नहीं पांच साल के अंदर गर्भवती महिलाओं के अंदर खून की कमी का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे द्वारा जारी ताजा आंकड़ों में सामने आया है कि वर्ष 2015-16 के मुकाबले वर्ष 2020-21 में 13.4 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं रक्ताल्पता से प्रभावित मिली हैं. यह आंकड़ा बेहद ही चिंताजनक है. यानि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को जितना गंभीर होना चाहिए वह उतनी ही लापरवाही बरत रही हैं, जिसका खामियाजा जच्चा और बच्चा दोनों को ही भुगतना पड़ रहा है. यही वजह है कि जन्म लेने के छह माह से लेकर 59 माह तक बच्चों में रक्त की कमी मिल रही है. डाक्टरों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को ज्यादा आयरन की जरूरत होती है.
फास्ट फूड खाने से आंतों में बन जाती है चिकनी परत
आजकल बड़ी संख्या में देखने को मिल रहा है कि गर्भवती महिलाएं पौष्टिक भोजन में रुचि दिखाने की बजाय फास्ट फूड को तवज्जो दे रही है. फास्ट फूड रक्त की कमी का सबसे बड़ा कारण है क्योंकि यह आंतों में एक चिकनी परत बना देता है, जिससे पौष्टिक आहार खाने के बाद भी आयरन का अवशोषण नहीं होता है.
रक्त बढ़ाने के उपाय
• अनार, सेब जैसे फलों का सेवन करें क्योंकि इनमें प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है.
• हरी पत्तेदार सब्जियों का नियमित रूप से सेवन करें.
• फोलिक एसिड युक्त आहार में दाल, राजमा, पालक, मटर, सोयाबीन, काबुली चना, केला आदि का सेवन करें.
• शिशु की मजबूत हड्डियों के लिए केल्शियम युक्त आहार का अधिक मात्रा में सेवन करें.
हर महीने लगाया जाता है शिविर
डिप्टी सिविल सर्जन एवं कार्यक्रम अधिकारी डा. अनुपमा सिंह ने बताया कि महिलाओं में जागरूकता पैदा करने के लिए हर महीने शिविर आयोजित किए जाते हैं. यहां हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं को चिह्नित किया जाता है. एनिमिक महिलाओं को स्पेशल ध्यान रखने की सलाह दी जाती है और पौष्टिक आहार के फायदे बताए जाते हैं. आयरन की दवा भी दी जाती है.
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