चंडीगढ़ | हरियाणा सरकार ने एक नई पॉलिसी को मंजूरी दे दी है. इसके तहत अब प्रदेश की सरकारी यूनिवर्सिटी को ग्रांट के बजाय सरकार लोन देगी. इतना ही नहीं प्रदेश सरकार ने इस स्कीम के तहत युनिवर्सिटियों के लिए लोन की पहली किस्त भी जारी कर दी है. जिसके तहत प्रदेश की सरकारी यूनिवर्सिटी को 147.75 करोड रुपए लोन के रूप में दिए गए हैं. सरकार के फैसले के बाद विश्विद्यालयों की मुश्किलें बढ़ गई है.
बता दें कि सरकार के इस फैसले के बाद जिन यूनिवर्सिटीज़ का खर्च उनकी आमदनी से अधिक है उन्हें अपने विश्वविद्यालय में फीस बढ़ानी पड़ेगी. जिससे सीधा असर अब छात्रों पर पड़ने वाला है. इससे पहले हर साल यूनिवर्सिटी को सरकार की ओर से 200 से 300 करोड रुपए ग्रांट के रुप में मिलते थे. लेकिन अब अमाउंट भी कम कर दी गई है. उसकी जगह ग्रांट को अब लोन में तब्दील कर दिया गया है. सरकार द्वारा इस फैसले का अब चारों तरफ विरोध भी शुरू हो गया है. विपक्षी पार्टियों के नेताओं से लेकर छात्र नेता और यूनिवर्सिटी के टीचिंग स्टाफ फैसले के विरोध में खड़े नजर आ रहे हैं.
हरियाणा सरकार के इस फैसले के बाद कांग्रेसी नेता और प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि खट्टर सरकार ने अब शिक्षा को भी कर्ज में डुबाने की तैयारी कर ली है. राज्य विश्वविद्यालय 300 करोड़ बजट से मिलने थे. अब कर्ज की पहली किस्त में 145.47 करोड़ रूपये मिले हैं. रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट में आगे लिखा है कि पढ़ाई से लेकर रोजगार तक हर कदम पर बीजेपी जज्बा सरकार हरियाणा के युवाओं को धोखा देती आ रही है.
दूसरी ओर यूनिवर्सिटज में पढ़ने वाले छात्र ओर पढ़ाने वाले प्रोफेसरों भी सरकार के इस फैसले के विरोध में उतर आए हैं. महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक टीचर्स एसोसिएशन के प्रधान डॉ विकास सिवाच ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि आज यूनिवर्सिटी का टीचिंग स्टाफ फैसले के विरोध में 3 घंटे की सांकेतिक हड़ताल करेगा. वहीं विवि में पढ़ रहे छात्रों की बात करें तो उनका कहना है कि उनकी पढ़ाई पर सरकार के इस फैसले का असर पड़ेगा. सरकार का यह कदम सरकारी युनिवर्सिटी युनिवर्सिटियों को निजी हाथों में सौंपने का मास्टर प्लान है.
विकास सिवाच ने आगे कहा कि सरकार कहती है सबका साथ सबका विकास, मगर जब गरीब बच्चा अधिक फीस नहीं दे पाएगा तो सबका साथ सबका विकास कैसे हो सकता है. केवल अमीर बच्चा ही अब विश्वविद्यालय में पढ़ पाएगा. क्योंकि फीस बढ़ने की वजह से गरीब बच्चों के लिए सबसे ज्यादा परेशानी खड़ी हो जाएगी. यह भी कहा कि सरकार शिक्षा के अधिकार से वंचित करने का प्रयास कर रही है. विकास सिवाच ने सरकार पर आरोप लगाया कि जब यूनिवर्सिटी सरकार का कर्ज नहीं दे पाएगी तो सरकार इसे प्राइवेट हाथों में सौंप देगी. यह सरकार का केवल एक षड्यंत्र है ताकि यूनिवर्सिटी को प्राइवेट हाथों में सौंप दिया जाए.
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