MSP से ज्यादा भाव मिलने पर भी बाजार में गेहूं नहीं बेच रहे हैं किसान, जानिए क्या हैं वजह

नई दिल्ली | रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग थमने का नाम ही नहीं ले रही है. जिसके चलते दुनिया के कई देशों में गेहूं की आपूर्ति प्रभावित हुई है. असल में दोनों देशों को गेहूं का बड़ा निर्यातक देश माना जाता है. दोनों ही देशों से बड़ी मात्रा में दुनिया के देशों को गेहूं की आपूर्ति होती है, लेकिन युद्ध के चलते इस आपूर्ति पर प्रभाव पड़ा है. ऐसे में भारतीय गेहूं की मांग दुनिया भर के देशों में हो रही है और कई देशों में भारतीय गेहूं का निर्यात किया जा रहा है.

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इस वजह से देश में गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. बता दें कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी से भी ज्यादा भाव देश में गेहूं का मिल रहा है. जिसके चलते कई राज्यों में गेहूं की सरकारी खरीद बंद हो गई है. किसान मंडियों का रुख करने की बजाय सीधे व्यापारियों को गेहूं बेच रहे हैं, लेकिन बदलते घटनाक्रम के साथ ही अब किसान बाजार में भी गेहूं बेचने से परहेज़ कर रहे हैं.

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गेहूं को स्टोरेज कर रहे हैं किसान

रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग की वजह से देश में किसानों को गेहूं का नाम एमएसपी से ज्यादा मिल रहा है. इस वजह से किसान गेहूं को सरकारी खरीद पर बेचने की बजाय सीधे बाजार में बेच रहे हैं लेकिन अब यही युद्ध किसानों को बाजार में भी गेहूं बेचने से रोक रहा है.

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बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है तो ऐसे में जाहिर सी बात है कि दोनों देशों से अन्य देशों को होने वाली गेहूं की आपूर्ति इस साल पूरी तरह से प्रभावित रहेगी. ऐसे में किसान गेहूं को स्टोरेज करने में फायदा समझ रहे हैं क्योंकि किसानों को यह लगने लगा है कि आने वाले दिनों में गेहूं के भाव में और अधिक उछाल देखने को मिलेगा, जिससे वह अच्छे भाव के साथ गेहूं को बेच सकते हैं.

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MSP पर बोनस की मांग भी है जारी

असल में इस बार पंजाब और हरियाणा में गेहूं की फसल को मौसम ने पूरी तरह से प्रभावित किया है. समय से पहले ज्यादा गर्मी पड़ने से गेहूं की फसल को पकने का पूरा समय नहीं मिला और दाना सिकुड़ कर छोटा रह गया. जिसको लेकर किसान सरकार से गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बोनस की मांग कर रहे हैं. किसान इसी उम्मीद के साथ भी गेहूं को स्टोरेज कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में सरकार MSP पर बोनस की घोषणा कर सकती हैं.

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