चंडीगढ़ | पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका ने देशवासियों को एक बड़े संकट से रूबरू करवा दिया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) तथा केंद्र सरकार के मंत्रालयों की रिपोर्ट का हवाला देते हुए दाखिल जनहित याचिका में बताया गया कि देश में मिल रहे दूध व दूध से जुड़े 80 से 90 फीसदी उत्पादों में मिलावट का जहर भरा हुआ है.
सर्विंग इन आर्गेनाइजेशन इन लीगल इनिशिएटिव संस्था ने एडवोकेट कीरत पाल सिंह के माध्यम से याचिका दायर कर बताया कि प्रकाशित एक आर्टिकल से मिली जानकारी अनुसार भारत के 70 % से अधिक दुग्ध उत्पाद राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मानकों पर सही नहीं उतरे हैं. हाईकोर्ट को बताया गया कि भारत दुग्ध उत्पादक के मामले में विश्व के अग्रणी देशों में शामिल हैं लेकिन आंकड़ों पर गौर फ़रमाया जाए तो देश में 14 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है, जबकि खपत 65 करोड़ लीटर है.
एडवोकेट कीरत पाल सिंह ने कोर्ट को अवगत कराया कि उत्पादन और खपत के बीच बड़े अंतर से साफ जाहिर हो रहा है कि मांग मिलावटी दूध और दुग्ध उत्पादों से पूरी की जा रही है. हाईकोर्ट को बताया गया कि केंद्र सरकार समय-समय पर मिलावटी दूध और दुग्ध उत्पादों की जांच के निर्देश जारी करती है बावजूद इसके मिलावटखोरी का धंधा अपनी चरम सीमा पर है.
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से अपील की है कि केंद्र सहित राज्य सरकारों को निर्देश जारी कर दूध और दुग्ध उत्पादों की नियमित जांच सुनिश्चित की जाए और आमजन के लिए जागरुकता अभियान चलाएं जाए कि वह कैसे मिलावटी दुग्ध उत्पादों की जांच कर सकते हैं. पंजाब, चंडीगढ़ और हरियाणा सरकार ने जवाब दाखिल करते हुए बताया कि मिलावटखोरी के खिलाफ निरंतर अभियान जारी है. हाईकोर्ट ने जांच को भविष्य में भी ऐसे ही जारी रखने का आदेश देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया.
नकली दूध बनाने में घातक पदार्थों का होता है इस्तेमाल
हाईकोर्ट को बताया गया कि नकली दूध बनाने में घातक डिटर्जेंट, फर्टिलाइजर, वनस्पति तेल, कास्टिक सोडा, सफेद पेंट, हाईड्रोपेरॉक्साइड जैसे घातक पदार्थों का जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है. यह सभी पदार्थ मानव के स्वस्थ्य जीवन में जहर घोल रहें हैं और कैंसर जैसी घातक बीमारियों को आमंत्रण दे रहे हैं.
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