चरखी दादरी |आज के इस आधुनिक युग में महिलाएं पुरुषों से किसी भी क्षेत्र में कम नहीं है लेकिन फिर भी कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जिनके बारे में लोगों की धारणा है कि यह काम सिर्फ पुरुषों का ही होता है. इन्हीं में से एक पेशा ड्राइवरी का है जिसके बारे में अक्सर कहा जाता है कि यह काम केवल पुरुष ही कर सकते हैं. लेकिन हरियाणा के चरखी दादरी जिलें की तीन बेटियों ने हैवी ड्राइवर बनकर समाज को आईना दिखाने का काम किया है.
इन बेटियों की मेहनत रंग लाई और अब उनकी नौकरी दिल्ली परिवहन विभाग (DTC) में बतौर चालक के रूप में लगी है. तीनों बेटियों ने नौकरी ज्वाइन कर ट्रेनिंग शुरू कर दी है और बहुत जल्द ये बेटियां राजधानी की सड़कों पर डीटीसी बस दौड़ाती हुई नजर आएंगी.
हैवी ड्राइवर बनी जिलें की तीनों बेटियों ने बताया कि शुरुआत में जब बाईक या ट्रैक्टर चलाना सीखा तो लोग ताने मारते हुए कहते थे कि यह काम मर्दों का है. उन्होंने लोगों की बातों को अनसुना कर अपना प्रशिक्षण जारी रखा और अब उनकी मेहनत का सकारात्मक परिणाम सबके सामने है. जो लोग इन बेटियों पर कभी तंज कसते थे वही आज तारीफ कर रहे हैं तो बेटियों को खुशी भी हो रही है.
जिलें के गांव मिसरी निवासी भारती, अख्तियारपुरा निवासी शर्मिला और मौड़ी निवासी बबीता डीटीसी में हैवी ड्राइवर है. उन्होंने बताया कि हैवी वाहन चलाने की ट्रैनिंग चरखी दादरी स्थित रोड़वेज ट्रैनिंग स्कूल से ली है. परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए उन्होंने ड्राइवरी सीखने का फैसला लिया था और अब डीटीसी में बतौर चालक ज्वाइनिंग से वो बहुत खुश हैं.
इन बेटियों ने बताया कि उन्हें सभी को साबित करना था कि आज के जमाने में छोरियां छोरों से कम नहीं है. मिसरी निवासी भारती ने बताया कि वो पांच बहनें हैं, उनके भाई नहीं है. परिवार को बेटे की कमी महसूस ना हो, इसलिए उन्होंने चालक बनकर परिवार की रोजी- रोटी चलाने की सोची.
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