नई दिल्ली | केन्द्र की मोदी सरकार 250 साल से ज्यादा लंबे समय से चली आ रही भारतीय सैनिकों की (Army) भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करने जा रही है. साथ ही इस बात की भी पूरी संभावना है कि सेना में 250 सालों से चली आ रही जाति, धर्म या क्षेत्र के आधार पर बनने वाली इंफेंट्री रेजिमेंट की तस्वीर पूरी तरह से बदल जाए. संभावना है कि इसी हफ्ते सरकार सैनिकों की भर्ती की नई योजना की शुरुआत कर सकती हैं, जो भारतीय सेना में बहुत बड़ा बदलाव लाएगी.
सिर्फ 4 साल के लिए होगी भर्ती
रक्षा मंत्रालय के हवाले से मिली जानकारी अनुसार, इस नई योजना का ऐलान इसी हफ्ते होगा और इसे ‘अग्निपथ’ का नाम दिया गया है. इस योजना के तहत केवल चार साल के लिए सैनिकों की भर्ती की जाएगी और ये सैनिक ‘अग्निवीर’ कहलाएंगे. इन सैनिकों को मौजूदा नौ महीने की जगह केवल 6 महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी और उसके बाद ये साढ़े तीन साल के लिए सेना में अपनी सेवाएं देंगे. यानि भर्ती से लेकर रिटायर होने के बीच 4 साल सेना की नौकरी होगी.
सर्विस के दौरान इन सैनिकों को लगभग 30 हजार रुपए प्रति माह सैलरी दी जाएगी जो सैनिकों को मिलने वाली मौजूदा सैलरी से ज्यादा होगी. सर्विस के दौरान हर महीने सैनिक की सैलरी का एक हिस्सा काटकर उसे जमा रखा जाएगा. सरकार भी उतनी ही राशि सैनिक के अकाउंट में जमा कराएगी. ये राशि जो 10-11 लाख रुपए होगी, सैनिक को रिटायरमेंट के समय एकमुश्त भुगतान किया जाएगा.
25 प्रतिशत को मिलेगा स्थाई नौकरी का मौका
इस योजना के तहत सैनिक को रिटायरमेंट के बाद कोई पेंशन नहीं दी जाएगी. सैनिकों को सेवा के दौरान ITI जैसे व्यवसायिक कोर्स भी करने का मौका मिलेगा ताकि रिटायरमेंट के बाद नई नौकरी ढूंढने में आसानी हो सके. रिटायर्ड सैनिकों को कॉरपोरेट सेक्टर में नई नौकरी के लिए बड़ी कंपनियों से सम्पर्क किया जा रहा है और महिंद्रा सहित कई अन्य बड़ी कंपनियों ने तकनीकी रूप से प्रशिक्षित अग्निवीरों में दिलचस्पी दिखाई है. इन सैनिकों में से 25 प्रतिशत को उनके प्रदर्शन के अनुसार सेना में स्थाई नौकरी का मौका भी दिया जाएगा.
नियमों में होंगे बड़े बदलाव
अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही भर्ती प्रक्रिया में कुछ खास जातियों या धर्मों को सेना की भर्ती में प्राथमिकता दी जाती थी. अब इस योजना के तहत भर्ती में इस तरह की लड़ाकू जातियों की प्राथमिकता को भी खत्म किया जा सकता है. वहीं मौजूदा भर्ती प्रक्रिया में सैनिकों को उनके रैंक के हिसाब से 40 या उससे भी ज्यादा उम्र में रिटायर किया जाता है. लेकिन इस तरह सेना में युवा सैनिकों की नई भर्ती नहीं हो पाती और सैनिकों की औसत उम्र भी बढ़ जाती है. नई प्रक्रिया से इस समस्या से निपटने में मदद मिलेगी. साथ ही अब रेजिमेंट्स में भर्ती अखिल भारतीय स्तर पर की जाएगी.
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