नई दिल्ली | 14 मई को सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन अब जल्द ही भारत लगभग 1.2 मिलियन टन गेहूं के निर्यात की मंजूरी दे सकता है. दरअसल, इसकी वजह काफी मात्रा में बंदरगाहों में फंसा गेहूं है. जी हां, गेहूं के इंपोर्ट पर बैन लगने के कारण बंदरगाहों में काफी बड़ी मात्रा में गेहूं फंस गया था, जिसे सरकार अब साफ करना चाहती है.
मॉनसून ने बढ़ाई सरकार की टेंशन
सरकार के 1.2 मिलियन टन गेहूं के निर्यात की मंजूरी देने के बाद बंदरगाहों में लगभग 500,000 टन गेहूं जमा रह जाएगा. जिसमें से निर्यात प्रतिबंध के बाद भारत ने 469,202 टन गेहूं के शिपमेंट की अनुमति दी है. लेकिन फिर भी बंदरगाहों में कम से कम 1.7 मिलियन टन गेहूं बच जाएगा, जो मॉनसून की बारिश के कारण खराब हो सकते हैं. जिससे इसकी गेहूं की गुणवत्ता में कमी आ सकती है.
किसे मिलेगी निर्यात की अनुमति
गेहूं के निर्यात के लिए सरकार सिर्फ लेटर ऑफ क्रेडिट (LC) वाले व्यापारियों को अनुमति देगी. अगर सरकार बंदरगाहों पर फंसे कार्गो के शिपमेंट की अनुमति देती है, तो इससे बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल जैसे देशों में गेहूं की कमी को पूरी होगी. बता दें कि, ये वो देश हैं जो भारतीय गेहूं पर सबसे अधिक निर्भर हैं.
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