नई दिल्ली, अंतराष्ट्रीय योग दिवस | आज भारत की पहल पर पूरा विश्व योग की शक्ति को समझ चुका है. संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया है. योग सदियों से भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग रहा है, जिसे स्वास्थ्य का एक बहुत ही प्रभावी साधन माना जाता है. स्वस्थ जीवन के लिए योग करना बहुत जरूरी है. योग शरीर में ऊर्जा का संचार करता है और उसे स्वस्थ रखता है. प्राणायाम, आसन, योग मुद्राएं करने से शरीर में ऑक्सीजन का संचार बेहतर तरीके से होता है.
क्या आपने कभी सोचा है कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस केवल 21 जून को ही क्यों मनाया जाता है, साल के किसी अन्य दिन क्यों नहीं? दरअसल, 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का कारण यह है कि 21 जून उत्तरी गोलार्ध का सबसे लंबा दिन है. वर्ष के इस दिन सूर्य की किरणें पृथ्वी पर सबसे अधिक समय तक रहती हैं, जो प्रतीकात्मक रूप से मनुष्य के स्वास्थ्य और जीवन से जुड़ी होती हैं. सदियों से यह माना जाता रहा है कि योग करने से लंबी उम्र मिलती है. भारत के ऋषियों ने भी अपनी योग तपस्या से इसे सिद्ध किया है.
सदियों पहले, भारत में योग की शुरुआत हुई, जो एक शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास है. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का मुख्य उद्देश्य योग के अभ्यास के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करना है. क्योंकि, आजकल शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण लोगों को शुगर, ब्लड प्रेशर आदि की समस्या होती है. नियमित रूप से कुछ समय तक योग का अभ्यास करने से हम खुद को पूरी तरह से स्वस्थ रख सकते हैं.
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत कैसे हुई?
भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र की बैठक में वर्ष के एक दिन को योग के नाम पर रखने का प्रस्ताव रखा. उनके प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्वीकार कर लिया और 90 दिनों के भीतर हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई. पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस वर्ष 2015 में 21 जून को मनाया गया था, जिसका नेतृत्व भारत ने किया था. दिल्ली में राजपथ पर 35 हजार से ज्यादा लोगों ने योग किया, जिसमें 84 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है.
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