चंडीगढ़ | हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की उलझनें सुलझने का नाम ही नहीं ले रही है. शहरी निकाय चुनाव सम्पन्न होने के बाद पार्टी पर अब नगर निगम चुनाव सिंबल पर लड़ने का दबाव साफ झलक रहा है क्योंकि दो दर्जन निकाय चुनावों में जीत हासिल करने वाली बीजेपी ने तीनों नगर निगमों के चुनाव सिंबल पर लड़ने की तैयारियां तेज कर दी है.
पिछले चुनाव सिंबल पर नहीं लड़ने के फैसले से खुश नहीं नेता
बता दें कि हाल ही में हुए 18 नगर परिषद व 28 नगर पालिकाओं के लिए हुए चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने यह कहते हुए खुद को चुनावी रण से दूर कर लिया था कि अभी तक संगठन तैयार नहीं हुआ है जबकि यह चुनाव बीजेपी, जेजेपी, आईएनएलडी और बसपा ने अपने सिंबल पर लड़े थे. कांग्रेस पार्टी के लिए हर ज़िले में एक- एक सीट पर कई दावेदार थे, इसलिए कांग्रेस ने सिंबल पर चुनाव न लड़ने का फैसला लेकर किसी तरह का विवाद मोल नहीं लेना ही बेहतर समझा.
हालांकि पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा गुट के ही कई नेता शहरी निकाय चुनाव सिंबल पर नहीं लड़ने के फैसले से नाखुश थे लेकिन अब फरीदाबाद, गुरुग्राम और मानेसर नगर निगमों के चुनाव पार्टी सिंबल पर लड़ने का कांग्रेस पर भारी दबाव पड़ता दिख रहा है.
निर्दलीय प्रत्याशियों को शहरी निकाय चुनावों में 50 प्रतिशत वोट मिले हैं, जिस पर कांग्रेस अपना अधिकार जमा रही है. अब कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि यदि वह सिंबल पर अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारते तो ये 50 प्रतिशत वोट उन्हें ही मिलते. अब बीजेपी तीनों नगर निगमों पर पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ने की तैयारियां शुरू कर चुकी हैं और स्थानीय निकाय चुनावों की तरह नगर निगम चुनावों में भी जेजेपी को साथ लेकर चलना बीजेपी की मजबूरी होगी.
हालांकि इस बात की संभावना बिल्कुल भी नजर नहीं आ रही है कि बीजेपी फरीदाबाद, गुरुग्राम और मानेसर नगर निगम में से कोई भी एक नगर निगम जेजेपी के लिए छोड़ेगी. हालांकि जेजेपी पार्टी मानेसर नगर निगम पर अपना दावा ठोक रही है.
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