लाइफस्टाइल । आज के युग में पेट्रोल और डीजल ऐसी जरुरी चीज़े है जिसका प्रयोग लगभग हर व्यक्ति के दवारा किया जाता है. आपने एक बात देखी होगी की पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ते ही रहते हैं. लेकिन कभी पेट्रोल और डीजल के दाम कम होते भी हैं, तो हमारी जेब पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ता.
ज्यादातर लोगो की यह धरना है कि इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल यानी कच्चे तेल की कीमत लगातार कम हो रही हैं, इसके बाद भी हमारे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम नहीं होतीं. आखिर क्या कारण है इसका? और कैसे आप तक पहुंचते-पहुंचते पेट्रोल-डीजल की कीमत 3 गुना बढ़ जाती है? इससे सरकारों को कितना फायदा होता है?
पहले जानते है आखिर हम तक कैसे पहुंचता है पेट्रोल और डीजल
- भारत अपनी जरूरत का 85% से ज्यादा पेट्रोल दूसरे देशों से खरीदता है.
- दूसरे देशों से इम्पोर्ट कच्चा तेल रिफाइनरी में भेजा जाता है., रिफाइनरी में पेट्रोल, डीजल और दूसरे पेट्रोलियम उत्पाद इस कच्चे तेल से निकाले जाते है.
- इसके बाद ये तेल को कंपनियों के पास जाता है. उदहारण के लिए इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम व् अन्य .
- यहां से ये तेल कंपनियां अपना कमीशन लेकर इसे पेट्रोल पंप तक पहुंचाती हैं.
- पेट्रोल पंप पर आने के बाद पेट्रोल पंप का मालिक अपना इस तेल पर अपना कमीशन लेता है. इसके बाद पेट्रोल पंप मालिक इस तेल
- पर केंद्र और राज्य सरकारों का टैक्स जोड़कर ग्रहको को बेच देता है.
आपको पता है 25 रुपये में 1 लीटर पेट्रोल मिलता है सरकार को, हम तक आते-आते 80 से ज्यादा का हो जाता है
जैसा की आपको पता है सरकार विदेश से कच्चा तेल खरीदती है. सरकार कच्चे तेल को बैरल में खरीदती है. यहाँ एक बैरल यानी लगभग 159 लीटर का होता है. इस साल 16 नवंबर को दिल्ली में 1 लीटर पेट्रोल की कीमत थी 81.06 रुपए. इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के हिसाब से 1 लीटर पेट्रोल की बेस प्राइस 25.37 रुपये थी. इसके बाद इसमें 32.98 रुपये एक्साइज ड्यूटी, 18.71 रुपये वैट, उसके बाद 3.64 रुपये पेट्रोल पंप के मालिक ने कमीशन बनाया और दूसरे टैक्स लगकर उसकी कीमत पहुंच गई 81 रुपये 6 पैसे.
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