पानीपत | दिल्ली में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) का एरिया कम हो सकता है. इस फैसले पर पानीपत के उद्यमियों की विशेष निगाहें है क्योंकि वो पानीपत और मतलौडा क्षेत्र को एनसीआर से बाहर होने की उम्मीद जताएं बैठे हैं. हरियाणा की मनोहर सरकार ने अपने ही क्षेत्र को एनसीआर से बाहर करने का प्रस्ताव रखा है जबकि तीन अन्य सदस्य राज्यों ने इस प्रकार का कोई प्रस्ताव नहीं रखा है. ऐसे में हरियाणा के प्रस्ताव पर किसी ने आपत्ति नहीं जताई है.
आंकड़ों के अनुसार क्षेत्रीय योजना 2021 में जहां एनसीआर में हरियाणा का सांकेतिक क्षेत्र 13,413 वर्ग किमी था, वहीं 2018 तक और जिलों को जोड़ने के कारण वास्तविक क्षेत्र बढ़कर 25,327 वर्ग किमी हो गया. इस अवधि के दौरान, पांच और जिले करनाल, जींद, महेन्द्रगढ़, चरखी दादरी और भिवानी एनसीआर में शामिल हो गए.
पानीपत इंंडस्ट्रीज एसोसिएशन प्रधान सरदार प्रीतम सिंह का कहना है कि यदि एनसीआर क्षेत्र से पानीपत जिले को बाहर निकाल दिया जाता है तो यहां एनजीटी की सख्त पाबंदियों से उद्योगों को राहत मिलेगी. यहां नए उद्योग स्थापित करने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी. वर्तमान में यहां नए उद्योग स्थापित करने के लिए शर्तों का बोझ बहुत अधिक है. एनसीआर क्षेत्र में जहां उद्योग चलाने के लिए पीएनजी गैस अनिवार्य है तो एनसीआर क्षेत्र से बाहर के उद्योगों में पेट कोक , कोयले का इस्तेमाल होता है जिससे उत्पादन सस्ता पड़ता है.
पानीपत- मतलौडा के एनसीआर से बाहर होने के फायदे
• 2000 उद्योगों को पीएनजी कनेक्शन पर उद्योगों का शिफ्ट नहीं करना पड़ेगा.
• हर वर्ष एनसीआर में होने के कारण नवंबर- दिसंबर में 15 दिनों को लिए उद्योगों को बंद नहीं करना पड़ेगा.
• कोयला, पेट कोक ईंधन का बायलर उद्योगों में इस्तेमाल से अन्य प्रदेशों की प्रतिस्पर्धा में यहां के उद्योग टिक पाएंगे.
• नए उद्योग लगाने पर पीएनजी कनेक्शन की शर्तों का बोझ हट जाएगा.
• नए उद्योगों की संख्या का आंकड़ा बढ़ेगा तो रोजगार की संभावना अधिक होगी, जिसका फायदा प्रदेश के लोगों को होगा.
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