नई दिल्ली | संयुक्त किसान मोर्चा के एक ऐलान से फिर से मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ने वाली है. तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बार फिर से बड़ा आंदोलन खड़ा करने के संकेत दिए हैं. दिल्ली में हुई संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग में यह निर्णय लिया गया है कि किसान मोर्चा किसी भी राजनीतिक संगठन को इसके साथ जुड़ने की अनुमति नहीं देगा और पूरी तरह से गैर राजनीतिक रहेगा.
मंगलवार को हुई संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग में यह फैसला लिया गया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी (MSP), अग्निपथ योजना और लखीमपुर हिंसा के मुद्दों पर केंद्र सरकार का विरोध करते हुए 22 अगस्त को दिल्ली के जंतर- मंतर पर महापंचायत का आयोजन किया जाएगा. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि इस महापंचायत में पूरे देश भर से लाखों की संख्या में किसान इकठ्ठा होंगे. उन्होंने कहा कि सरकार ने एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने का किसानों से वायदा किया था लेकिन सरकार अब वादाखिलाफी कर रही है.
राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार की नई भर्ती प्रक्रिया अग्निपथ योजना युवाओं के भविष्य के साथ बड़ा खिलवाड़ है. इस योजना से देश की सुरक्षा व्यवस्था कमजोर पड़ेगी. इस योजना के तहत नौकरी पूरी कर वापस आने वाले युवा कॉरपोरेट घरानों के यहां गुलामों की तरह नौकरी करने पर मजबूर हो जाएंगे. संयुक्त किसान मोर्चा सरकार से निवेदन करता है कि वो अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करें.
वहीं संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा राजनीति करने के मुद्दे पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए एसकेएम ने कहा कि इसके सामने आने के बाद हमने उनसे कोई संबंध नहीं रखने का फैसला लिया है. उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा को बेचने की कोशिश की लेकिन वो अपने प्रयास में विफल रहे, आज पूरा संयुक्त किसान मोर्चा यहां मौजूद है. एमएसपी, अग्निपथ योजना और लखीमपुर हिंसा मामले को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में 22 अगस्त को जंतर- मंतर पर महापंचायत होगी.
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