नई दिल्ली, Sawan Special | सावन के महीने को भगवान शिव का महीना माना जाता है. बता दें कि अबकी बार सावन 14 जुलाई से शुरू हुआ है जो 12 अगस्त तक रहेगा. सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को है. सावन के महीने में भक्त भगवान शिव की विशेष पूजा -अर्चना करते हैं. सावन के महीने में लोग व्रत भी रखते हैं, जिससे उनकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है . मान्यताओं के अनुसार इस महीने में भगवान शिव अपनी तपस्या में लीन थे.
इस प्रकार हुई सावन के सोमवार के व्रत की शुरुआत
इस महीने में सोमवार का व्रत रखने से जीवन में सफलता और भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त होता है. अविवाहित कन्याओं के लिए भी सावन का महीना काफी लाभदाई होता है, व्रत रखने से कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है. क्या आपने कभी सोचा है कि सावन के व्रत की शुरुआत कैसे हुई, नहीं तो आज की खबर आपके लिए काफी अहम होने वाली है. पंडित इंद्रमणि घनस्याल ने बताया कि सावन के सोमवार की शुरुआत कैसे हुई और किसने पहले व्रत रखा.
पहली पौराणिक कथा
सावन के महीने में भगवान शिव के साथ-साथ भगवान परशुराम की भी पूजा की जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान परशुराम ने ही कावड़ की परंपरा को शुरू किया था. इस महीने में भगवान परशुराम ने सोमवार को कांवड़ में गंगाजल भरकर शिव मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ा कर रोजाना अपने देवता की पूजा की थी. भगवान शिव को सावन का सोमवार बेहद प्रिय है, इसी वजह से इस व्रत का विशेष महत्व है. यह भी कहा जाता है कि भगवान परशुराम के कारण ही भगवान शिव का व्रत और पूजा शुरू हुई थी.
दूसरी पौराणिक कथा
दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार जब सनत कुमारों ने भगवान शिव से पूछा कि उन्हें विशेष रूप से सावन के महीने में ही क्यों पूजा जाता है, तब महादेव ने कहा था कि अपने पिता दक्ष के घर में योग शक्ति से अपने शरीर का त्याग करने से पहले देवी सती ने अपने हर जन्म में भगवान शिव से विवाह करने का संकल्प लिया था. दूसरे जन्म में देवी सती ने माता पार्वती का रूप लिया. उन्होंने सावन के महीने में उपवास किया और भगवान शिव से विवाह भी किया था. तब से लेकर अब तक सावन के महीने मे भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!