जींद | हरियाणा के जींद जिले को हरियाणा का दिल कहा जाता है. जींद जिला पर्यटन स्थल के रूप में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यह हरियाणा के सबसे पुराने जिलों में से एक है. ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि यहां पर जयंती देवी मंदिर पांडवों द्वारा जयंती देवी के सम्मान में बनाया गया था. धीरे-धीरे समय के साथ मंदिर के चारों ओर शहर विकसित किया गया, इसी वजह से जयंतपूरी नाम अब जींद बन गया. एक अन्य मान्यता के अनुसार महाराजा रणजीत सिंह ने अपनी सबसे छोटी रानी महारानी जींद कौर के नाम पर इस शहर का नाम रखा.
जानिए जींद के पर्यटन स्थलों के बारे में
जींद का किला
इसे 1775 में जींद राज्य के संस्थापक द्वारा बनाया गया था. यह लखोरी ईटों के साथ उठाए गए माउंड पर बनाया गया था, परंतु अब इसके कोनों में केवल एक बुर्ज शेष है, जींद पर्यटन में इसे एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में जाना जाता है.
सफीदों किला
जींद का इतिहास एक अलग शासक राज्य के रूप में 1763 ईस्वी से शुरू हुआ था, यह जींद राज्य के शासकों द्वारा निर्मित पहला किला है जो फलकीयन परिवार के पूर्वजों ने बनवाया था. इसके बाद इसे राज्य के छावनी के रूप में तब्दील कर दिया गया. परंपरागत रूप से यह शहर सफिदोंन महाभारत की कहानी से जुड़ा हुआ है. ऐसा भी कहा जाता है कि परीक्षित के पुत्र जन्मेजय (अर्जुन के पोते) ने अपने पिता की मृत्यु के बाद इस जगह पर सरपजना (सांप बलिदान अनुष्ठान) किया था.
शहीद स्मारक
यह जींद शहर के केंद्र में स्थित है, यह एक ऐसा स्मारक है जिसे देश को स्वतंत्र बनाने में लड़ते समय शहीद हुए बहादुर नायकों को याद रखने के लिए बनाया गया है. भारतीय सेना द्वारा बनाए गए इस स्मारक की संरचना एक लंबे खंबे के रूप में की गई. यह काले ग्रेनाइट से बना हुआ है. स्मारक के चारों ओर एक सुंदर बगीचा भी है. जींद पर्यटन स्थल के रूप में इस स्मारक का काफी महत्वपूर्ण स्थान है.
धमतान साहिब गुरुद्वारा
यह भी जींद के पर्यटन स्थलों में शामिल है. इस पर्यटन स्थल के बहुत से धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है. यह जींद से 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस गुरुद्वारे के आसपास जाट समुदाय की जनसंख्या रहती है. मान्यता है कि भगवान राम ने इस स्थान पर अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया था. वही सिखों के नौवें गुरु तेगबहादुर सिंह दिल्ली की यात्रा पर आगे बढ़ने से पहले यही रुके थे.
अश्विनी कुमार तीर्थ
यह पर्यटन स्थल असान गांव में स्थित है, जो जींद से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. महाभारत और अन्य धार्मिक किताबों में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है. ऐसी मान्यता है कि यदि भक्त मंगलवार के दिन इस पवित्र तालाब में डुबकी लगा देते हैं, तो वह मोक्ष को प्राप्त कर लेते हैं. लोग वैदिक जुड़वा देवताओं अश्विनी की पूजा करते हैं. यदि कोई बीमार व्यक्ति यहां पूजा करने के लिए आता है, तो उसकी बीमारी दूर हो जाती है.
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