अंबाला | सरकार द्वारा चलाई गई चिराग योजना पर शिक्षक संघ सरकार से सवाल कर रही है. शिक्षक संघ का आरोप है कि सरकार इस योजना के जरिए प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा दे रही. शिक्षको का कहना है कि पहली कक्षा के बाद बच्चे निजी स्कूलों का रुख करेंगे. ऐसे में सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या कम होती चली जाएगी.
दरअसल, सरकार ने यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए शुरू की थी. जिसका शिक्षक संघ विरोध कर रहे हैं शिक्षकों का कहना है कि इस योजना से शिक्षा का निजीकरण होगा. यही नहीं इसे सरकारी स्कूलों के हित में नहीं बता रहे हैं. इस क्रम में डीसी के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भेजने की तैयारी भी की जा रही है.
क्या है चिराग योजना
हरियाणा राज्य सरकार ने नए शिक्षा सत्र में नियम-134ए को खत्म कर उसकी जगह पर चिराग योजना की शुरुआत की है. इस योजना के तहत आर्थिक रुप से कमजोर यानी एक लाख 80 हजार रुपये से कम सालाना आय वाले परिवारों के जो बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं, उन्हें दूसरी से बारहवीं कक्षा तक की शिक्षा प्राइवेट स्कूलों में मुफ्त दिलाई जाएगी. इस योजना के पीछे सरकार की मंशा है कि कम आय वाले बच्चे भी निजी स्कूलों में पढ़ाई कर सके. इस योजना के तहत ऐसे बच्चों की फीस सरकार की तरफ से दी जाएगी.
शिक्षक संघ का आरोप
हरियाणा अनुसूचित जाति राजकीय अध्यापक संघ के राज्य प्रधान डा. दिनेश नीमबढ़िया व राज्य प्रेस सचिव मोहन परोचा ने सरकार का विरोध करते हुए कहा कि ”हरियाणा सरकार गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित करना चाहती है इसलिए यह चिराग योजना लेकर आई है.” उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह योजना सरकारी स्कूलों को बंद करने की सोची समझी चाल है.
इस योजना से होगा शिक्षा का निजीकरण
सरकार कि इस योजना का विरोध करते हुए शिक्षक संघ ने आरोप लगाया कि यह योजना शिक्षा के निजीकरण की ओर एक बढ़ता हुआ क़दम है. अगर यह योजना रहती है तो हजारों सरकारी स्कूल बंद हो जाएंगे. शिक्षकों का आरोप है कि सरकार सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने की बजाए उन्हें खाली करवाने पर लगी है. इसी क्रम में 20 जुलाई को शिक्षक संघ के डीसी कार्यालय पहुंचकर सरकार का विरोध करते हुए सरकार के नाम ज्ञापन सौंपेंगे.
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