हिसार की पहलवान छोरी ने जीता गोल्ड मेडल, 16 साल की उम्र में ही इतिहास के पन्नों में नाम दर्ज

हिसार | एक समय कॉकरोच से डरने वाली पहलवान हर्षिता आज बड़े-बड़े पहलवानों को टक्कर देकर देश के लिए गोल्ड जीतने का काम कर रही है. इस उपलब्धि पर पूरे गांव को गर्व है. हिसार के बास गांव की बेटी 16 वर्षीय हर्षिता ने इटली के रोम शहर में आयोजित विश्व कैडेट कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता और इतिहास के पन्नों में अपने गांव और देश का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा. हर्षिता का 69 किग्रा भार वर्ग में कुरेसिया देश के एक पहलवान के साथ सेमीफाइनल मुकाबला था. फाइनल में जापानी पहलवान को 3-1 से हराकर देश के लिए स्वर्ण पदक जीता.

Harshita Pahalwan Hisar

गांव में खुशी का माहौल

पूरे गांव में खुशी का माहौल है. बेटी की इस उपलब्धि पर सभी ग्रामीण एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं. हर्षिता रविवार सुबह 4 बजे दिल्ली एयरपोर्ट पहुंची जहां उनका भव्य स्वागत किया गया. बास निवासी हर्षिता के पिता सतपाल मोर ने बताया कि जब वह पांचवीं में पढ़ती थी तो उसके हाव-भाव देखकर सोचा कि क्यों न बेटी को पहलवान बनाया जाए. हर्षिता पढ़ाई में भी होशियार है. मित्र संजीव लोहान आर्य जो डीपी के पद पर तैनात हैं, जब उनसे बेटी का परिचय कराया गया तो उसी दिन फैसला हो गया. उनकी कुश्ती की ट्रेनिंग घर से ही शुरू हुई थी. कोच संजीव लोहान और सतपाल खुद अपनी बेटी को कुश्ती के गुर सिखाने लगे. कुछ दिनों बाद उन्हें स्कूली खेलों में तीसरा स्थान मिला.

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पहले भी जीता है गोल्ड

फिर खेलो इंडिया में उनका चयन हुआ और उन्हें तीसरा स्थान मिला. उसने 2020 में नेशनल में गोल्ड जीता था और 2021 में इंटरनेशनल टीम में चुने जाने के बाद जब वह खेलने गई तो सेमीफाइनल मैच में चोटिल हो गई थी. उसके बाद उसका ऑपरेशन किया गया और तीन महीने पहले कुश्ती का अभ्यास करना शुरू किया. वह पढ़ाई में भी होशियार है, अगर वह पहलवान नहीं बनती है, तो उसका सपना आईएएस अधिकारी बनने का है.

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हर्षिता की मां एक ग्रहणी है. उसकी बड़ी बहन कीर्ति मोर और भाई गिरेश पढ़ाई कर रहा है. हर्षिता का पसंदीदा भोजन चूरमा और ब्रेड का हलवा है और वह रोजाना दाल और रोटी जरूर खाती हैं, इसके साथ ही वह अपने आहार में बादाम, दूध, पनीर, जूस भी शामिल करती हैं.

कोच संजीव लोहान आर्य ने बताया कि हर्षिता बेहद निडर है. वह किसी भी बड़े पहलवान को टक्कर देने से पीछे नहीं हटती हैं. इसी मंशा के चलते उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है. भविष्य में वो और भी बड़ी खिलाड़ी बनकर ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने का काम करेंगी.

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