नई दिल्ली | रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI ने नकदी संकट अर्थात Cash Crunch का सामना कर रहे लक्ष्मी विलास बैंक पर पहले काफ़ी तरीकों से पाबन्दियां लगाईं है परन्तु, फिर इसके तुरंत बाद उसके डी बी एस बैंक में विलय करने का ऐलान कर दिया गया है. कैबिनेट (Cabinet) ने बिते कल अर्थात् 25 नवंबर 2020 को आर बी आई के प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी थीं.
अब ये विलय 27 नवंबर 2020 से लागू कर दिया जा सकता है. इसके साथ ही लक्ष्मी विलास बैंक का नाम बदलकर अब डी बी एस बैंक कर दिया जाएगा. इसके अलावा अब केंद्रीय बैंक की तरफ़ से लक्ष्मी विलास बैंक पर लगाया गया मोरेटोरियम (Moratorium period) को भी जल्द ही ख़तम कर दिया जा सकता है.
बैंक के 20 लाख डिपॉजिटर्स पर पड़ सकता है सीधा असर
दरअसल,लक्ष्मी विलास बैंक से पहले रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने यस बैंक (YES Bank) और पी एम सी बैंक (PMC Bank) पर भी काफ़ी तरीकों से रोक लगाई थीं. किन्तु, यह पहली बार है कि केंद्रीय बैंक ने किसी भारतीय बैंक (Indian Bank) को भारी संकट से निजात दिलाने के लिए विदेशी बैंक में विलय करने का फैसला लिया हो. अब यहां खास सवाल ये उठता है कि एल वी एस का नाम बदलने के बाद से इस बैंक के ग्राहकों यानी Bank Customers और कर्मचारियों (Bank Employees) की हालत क्या होगी?
बेलआउट पैकेज के अन्तर्गत लक्ष्मी विलास बैंक के ग्राहकों को पूरा पैसा मिलेगा वापिस
कैबिनेट में लिए गए फैसलों के आधार पर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर जी (Prakash Javadekar) ने अपना पक्ष रखते हुए ख है कि बैंक के 20 लाख ग्राहकों को इस मामले में पूर्ण रूप से निजात मिल सकती है. वे सब आने वाले शुक्रवार से अपने खातों को डी बी एस बैंक इंडिया के ग्राहकों के तौर पर ऑपरेट कर सकते हैं. बेलआउट पैकेज के अन्तर्गत लक्ष्मी विलास बैंक में पैसा निवेश करने वाले ग्राहकों को उनका पूरा पैसा मिल जाएगा. अगर वे उसके पश्चात् भी अपना पैसा बैंक में रखना चाहते हैं तब भी सुरक्षित ही रहेगा.
एल वी एस की सेहत बिगाड़ने वालों को मिला सकता है दण्ड
साथ ही साथ जावड़ेकर ने अपना ब्यान देते हुए कहा है कि विलय से लक्ष्मी विलास बैंक के कर्मचारियों को भी अतिआवश्यक चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. बैंक में काम करने वाले लगभग 4,000 कर्मचारियों की सेवाएं भी सुचारू ढंग से चलती रहेगी. उन्होंने यह भी कहा कि केवल लक्ष्मी विलास बैंक की वित्तीय सेहत को खराब करने वाले लोगों को दंडित किया जाएगा.
लक्ष्मी विलास बैंक बना दूसरा बैंक, जिसे आर बी आई ने डूबने से बचाया
यहां हम आपको ख़ास बात बता दें कि लक्ष्मी विलास बैंक इस साल का दूसरा बैंक है, जिसे रिजर्व बैंक ने पूर्ण रूप से डूबने से बचाया है. मार्च 2020 में आर बी आई ने यस बैंक को भी ऐसे ही डूबने से बचाया था. सांझा किए गए निर्देशों के अनुसार, सिंगापुर सरकार समर्थित डी बी एस बैंक लक्ष्मी विलास बैंक में 2,500 करोड़ रुपये का निवेश कर सकता है. इसके अंतर्गत लक्ष्मी विलास बैंक की 560 शाखाओं के जरिये डी बी एस बैंक की पहुंच इसके होम, पर्सनल लोन और स्मॉल स्केल इंडस्ट्री लोन ग्राहकों तक हो जाएगी. यह प्लान आर बी आई द्वारा तैयार किया गया है.
एल वी एस के श्रेयरहोल्डर्स को नहीं मिल पाएंगे पैसे
विलय के बाद अब डी बी एस इंडिया को लक्ष्मी विलास बैंक की 563 शाखाओं, 974 ए टी एम और रिटेल बिजनेस में 1.6 अरब डॉलर की फ्रेंचाइजी दे रहा है. साथ ही साथ में, 94 साल पुराने लक्ष्मी विलास बैंक की इक्विटी संपूर्ण रूप से ख़तम हो जाएगी. बैंक का पूरा डिपॉजिट डी बी एस इंडिया के पास ट्रांसफर कर दिया जाएगा. ऐसे में बैंक के शेयर होल्डर्स को किसी भी हालात में पैसा नहीं दिया जा सकता है. आर बी आई ने लक्ष्मी विलास बैंक पर इसी माह ही 1 महीने के मोरेटोरियम पीरियड को लागू किया था.
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