हरियाणा: पिता रोजाना 40 किलोमीटर दूर पहुंचाते थे दूध और घी, बेटे ने गोल्ड जीतकर देश का नाम किया रोशन

सोनीपत | कॉमनवेल्थ गेम्स में हरियाणा के सोनीपत जिले के नवीन मलिक (Naveen Malik) ने स्वर्ण पदक जीता. इसके बाद से उनके पूरे गांव में खुशी का माहौल है. बता दें कि परिवार के साथ पूरा गांव लाडले का वापस लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रहा है. वही नवीन की माँ गुणवती ने बताया कि बेटे को हलवा बहुत पसंद है. उन्होंने कहा कि जब वह घर लौटकर आएगा, तो वह उसे उसकी पसंद का हलवा, लड्डू के साथ पूरी और सब्जी खिलाएगी. ग्रामीणों ने कहा कि स्वर्ण पदक जीतकर लौटने पर वह अपने लाडले का जोर- शोर से स्वागत करेंगे.

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Naveen Malik Sonipat

पूरा गांव जोर- शोर से करेगा अपने लाड़ले का स्वागत

नवीन मलिक का जन्म गांव पुगथला में 21 नवंबर 2002 को हुआ था. फिलहाल उन्होंने 12वीं कक्षा पास की है और वह भारतीय वायु सेना में कार्यरत है. इन्होंने 3 साल की उम्र से ही खेलना शुरू कर दिया था. इनके पिता व बड़े भाई भी पहलवानी ही करते थे. नवीन के अलावा परिवार में उनकी तीन बहने भी है, जो शादीशुदा है. वहीं नवीन के प्रशिक्षक कुलदीप ने बताया कि नवीन बहुत मेहनती है और आज उसकी मेहनत का ही नतीजा है कि वह कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतकर लाया है.

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बता दे कि नवीन ने एशियन चैंपियनशिप अंडर 23 में भी गोल्ड मेडल हासिल किया था. इसके बाद उन्होंने सीनियर एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक जीता. नवीन ने पहली बार कॉमनवेल्थ गेम का ट्रायल दिया था, जिसमें उनका चयन हो गया. पहली बार में ही हरियाणा का यह लाल गोल्ड मेडल जीता लाया. वही परिजनों का कहना है कि आने वाले प्रतियोगिताओं में भी नवीन अच्छा प्रदर्शन करेगा.

40 किलोमीटर दूर देने जाते थे दूध और घी 

नवीन मलिक के पिता धर्मपाल ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे को पहलवान बनाने के लिए बहुत मेहनत की है. वह बेटे को रोजाना घर का दूध और घी देने के लिए 40 किलोमीटर तक जाते थे. इसके लिए पहले उन्हें गांव से गन्नौर रेलवे स्टेशन जाना पड़ता था और वहां से ट्रेन पकड़ कर 10 किलोमीटर पैदल चलकर उसके अखाड़े में जाना पड़ता था. जिस समय नवीन ने अभ्यास करना शुरू किया था, उस समय आधुनिक उपकरण भी कम ही थे. जिस वजह से उन्होंने पट्टे को मजबूत करने के लिए सीमेंट को बाल्टी में भर दिया था. सूखने के बाद वह उससे देसी जुगाड़ तैयार किया करते थे.

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