नई दिल्ली | देश में निजीकरण का काम बेहद तेजी से चल रहा है. इसे लेकर कई जगह विरोध भी हो रहे हैं, लेकिन सरकार अपनी तैयारी में लगी हुई है. वहीं, सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की प्रक्रिया भी शुरु हो चुकी है. हालांकि, इसे लेकर कई हड़ताल किए जा रहे हैं. सरकार बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन करके पीएसयू बैंकों (PSB) में विदेशी स्वामित्व पर 20% की सीमा को हटाने की तैयारी में है. सूत्रों के अनुसार, इनमें दो सरकारी बैंक शॉर्ट लिस्टेड भी हो चुके हैं.
सितंबर तक हो सकता है प्राइवेटाइजेशन
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बड़े बदलाव के लिए कैबिनेट की मंजूरी में कुछ समय लग सकता है, इसे लेकर दो सरकारी अधिकारियों के नाम न बताने की शर्त रखी गई है. संभावना जताई जा रही है कि, मॉनसून सत्र तक संशोधन हो सकता है. सरकार का उद्देश्य है कि सितंबर तक कम से कम एक बैंक का प्राइवेटाइजेशन हो जाए.
प्राइवेटाइजेशन पर हो रहा तेजी से काम
गौरतलब है कि, सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्राइवेटाइजेशन पर तेजी से काम कर रही है. सरकार की तरफ से इंटर-मिनिस्ट्री परामर्श अपने अंतिम चरण में है, जिसकी जल्द से जल्द पूरी होने की संभावना है. विधायी प्रक्रिया पूरी होने के बाद विनिवेश पर मंत्रियों का समूह निजीकरण के लिए बैंकों के नामों को फाइनल करेगा.
ये बैंक हो सकते हैं प्राइवेट
बता दें कि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष के लिए बजट पेश करते हुए वित्त वर्ष 22 में आईडीबीआई बैंक के साथ दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी. इसके अलावा, नीति आयोग ने प्राइवेटाइजेशन के लिए दो PSU बैंक को शॉर्टलिस्ट भी कर लिया है. इसके साथ ही वित्त मंत्री ने कहा भी था कि चालू वित्त वर्ष में एक बीमा कंपनी को बेचा जाएगा.
इस मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारी का कहना है कि, ”निजीकरण के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक को संभावित उम्मीदवारों के रूप में चुना गया था. यानी इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया दो उम्मीदवार हैं जिनका निजीकरण हो सकता है, हालांकि बैंक ऑफ महाराष्ट्र इस लिस्ट में है.”
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