हरियाणा की पहलवान बेटी ने गोल्ड जीतकर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड, बड़ी रोचक है अंतिम नाम रखने की कहानी

रोहतक | हरियाणा के खिलाड़ी अपने दमदार खेल की बदौलत दुनिया भर में हिंदुस्तान का डंका बजा रहे हैं और इस मामले में बेटियां भी पीछे नहीं हैं. अभी हाल ही में सम्पन्न हुई कॉमनवेल्थ गेम्स में हरियाणा के पहलवान लड़के व लड़कियों का जलवा दुनियाभर ने देखा था. अब हरियाणा की बेटी की एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम की है. बुल्गारिया में आयोजित हो रही अंडर-20 वर्ल्ड रेसलिंग(कुश्ती) चैंपियनशिप (World U20 Wrestling Championships) में भारत की महिला पहलवान अंतिम पंघाल (Antim Panghal) ने अपने शानदार प्रदर्शन से इतिहास रच दिया है.

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Antim Panghal

हिंदुस्तान की युवा पहलवान बेटी अंतिम ने 53 KG भारवर्ग कैटेगरी में कज़ाकस्तान की कटलिन को 8-0 से धूल चटाते हुए गोल्ड मेडल पर कब्जा किया. इसके साथ ही उन्होंने इस टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीतने वाली अकेली भारतीय महिला पहलवान होने का गौरव भी हासिल किया है. इसके अलावा, इस टूर्नामेंट में हिंदुस्तान की ओर से प्रियंका ने 65KG भारवर्ग और सोनम मलिक ने 62 किलोग्राम भारवर्ग में सिल्वर मेडल जीतकर देश का गौरव बढ़ाया.

बड़ी रोचक है अंतिम नाम रखने की कहानी

अंतिम पंघाल की बात करें तो उनके अंतिम नाम रखने के पीछे एक बड़ा रोचक किस्सा है. 17 साल की अंतिम हरियाणा के रोहतक जिले की रहने वाली है. अंतिम से पहले घर में तीन बेटियां पैदा हो चुकी थी. इसके बाद जब एक और बेटी का जन्म हुआ तो उसका नाम अंतिम रख दिया गया ताकि आगे और बेटी का जन्म न हो. लेकिन माता- पिता ने अंतिम का हर पड़ाव पर साथ दिया और और उसके फैसले को ऊंचाइयों तक ले जाने में पूरा सहयोग किया. उसी प्रयास की बदौलत अंतिम ने आज माता- पिता का नाम रोशन कर दिखाया.

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ज्‍यादा बेटी होने पर ऐसे नाम रखने का प्रचलन

बता दें कि हरियाणा में ज्यादा बेटियां पैदा होने पर भतेरी, भरपाई, अंतिम, धापां जैसे नाम रखने की परम्परा सालों पुरानी है. इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि ऐसा नाम रखने पर अगली औलाद बेटा पैदा हो जाता है लेकिन यह तर्कसंगत नहीं है. हालांकि ऐसा नहीं है कि ऐसा नाम रखने पर परिजन इन बेटियों का मान- सम्मान नहीं रखते, ऐसा महज एक मान्यता की वजह से चलता आ रहा है.

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